पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२६३

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प्रिया-प्रकाश हैं, देवगण उनकी प्रशंसा बखानते हैं। श्रहलांदिनी शक्ति को धारण किये हैं ( साथ में सीता हैं), बड़े युद्ध प्रिय हैं, रावण को मारने से जिनकी प्रसिद्धि है, जिनका यश दासगण गाते हैं। जिनके नाम के साथ चन्द्र की पदवी लगी है (जिनका नाम रामचन्द्र है ), जो जवाहर जटित जगमगे भूषणों से युक्त हैं, लक्ष्मीवान प्रसिद्ध हैं, और सीता के अति प्रिय पति हैं। शब्दार्थ-(राना अमरसिंह पक्ष)-परम = शिव ( उदयपुर के राना वंश के इष्टदेव 'एक लिंग' नामक महादेव जी हैं)। हसजात = सूर्यपुत्र कर्ण । हंस जात गुण= कर्ण के गुण अर्थात् युद्ध बीरता और दान बीरता । विबुध-विशेष पंडित । प्रति बुद्धिमान । सकनि = ( शक्ति ) बरछी। समर सनेही युद्ध प्रिय । द्विजराज = ब्राह्मण । कमलासन प्रकास लक्ष्मी से जिसका प्रकाश है अर्थात जो अति धनी है। परदार प्रिय- शत्रु की दारा प्रिय है जिसे, अर्थात् शत्रु भूपतियों की भूमि (राज्य) को जीतने की इच्छा वाले। भावार्थ-राना अमरसिंह कैसे हैं कि जिन्हें एक लिंग शिव भाते हैं, शिव जी के अनन्य भक्त हैं, कर्ण के गुण युद्ध बीरता और दान बीरता सुनकर सुख पाते हैं ( और वैसाही करते भी हैं ), संगीत शास्त्र के जानकार हैं, और विशेष बुद्धिमान कहे जाते हैं। बिजय देने वाली सुखद बरछी धारण करते हैं (बरछी चलाने में उदयपुर के राना का बंश बहुत प्रसिद्ध रहा है ), बड़े युद्ध डिप्रय हैं, बहुत लोग उनका यश वर्णन करते हैं और केशवदास भी यंश पाता है। ब्राह्मण चरण ही उनके लिये विमल भूषण हैं अर्थ त् ब्राहाणों पर बड़ी भक्ति रखने