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तीसरा प्रभाव

तीसरा प्रभाव काव्य-दूषण वर्णन] मूल समझै बाला बालकहु, वर्णन पंथ अगाध कबिप्रिया केशव करी, छमियो कधि अपराध ॥ १ ॥ भावार्थ-केशव ने यह कविप्रिया नामक ग्रंथ इस लिये बनाया है कि स्त्रियां और चालक भी कविता की अगाध रीति समझे। सो यह एक पका का अपराध है। अतः कवियों से निवेदन है कि श्राप लोग मेरे इस अपराध को क्षमा करें। (विशेष)-जो बात केवल धुरंधर कवियों के समझने की बस्तु है, उसे इतनी सरल कर देना कि उसे नियां और बालक सी समझ सके, वास्तव में अपराध है। इसके लिये केशव जी कवियों से क्षमा मांगते हैं। अब उस सरल बात को ( टीका करके ) और सरल कर देना तो महा अपराध ठहरेगा । अतः 'दीन' जन भी कहता है रीका के के सरल किय, कविता पंथ अगाध । टीकाकर जन 'दीन' को. छमियो कवि अपराध ।। मूल-अलंकार कबितान के सुनि सुनि विविध विचार । कविप्रिया केशव करी, कविता को सिंगार ॥२॥ भावार्थ-