पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/३९६

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प्रिया-प्रकाश असन अनल बड़-जो दावानल को पान कर गया (कृष्ण रूप से) बट दल बसन =जो बर के पत्ते पर बसा था ( मार्कंडेय प्रलय के समय) सजलथल थलकर-जिसने (मार्कंडेय के लिये) समस्त पृथ्वी तल को अलमय कर दिया था। नजर "धर-चिरंजीवी लोग, देवगण, ब्रह्मा और महादेव ( बरद ) जिनके चरण छूते हैं। परम धरम गन बरन =जो अच्छे धर्मों को बरण करते हैं (ब्राह्मण गण)। परम....."शरन पर जो ब्राह्मणों की रक्षा में तत्पर रहता है। अमल' .."बदन जिसका मुख सुन्दर कमलयत है। सदन जस-जो यश का सदन है (बड़ी कीति है जिसकी) हरन मदन मद = जो अपने सौन्दर्य से काम का मद हरता है। मदन-कदन-हर-जो काम के नाश को हरण करने वाला है, अर्थात् काम के नाश हो जाने पर जिसने पुनः उसको पैदा किया, ( अनस्तित्व से अस्तित्व में लाया) कृष्णावतार में काम को प्रद्युम्न नाम से पैदा किया ( पुनः शरीरवान बनाया)। भावार्थ--शब्दार्थो से ही प्रगट है। वशेष--इस छंद के अन्त में 'मदन कदन हर' शब्द देखकर प्रथम दृष्टि में यह जान पड़ता है कि इसमें 'शिव' का वर्णन होगा, पर विचार करने पर कनक बसन तन' और 'बट