पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४०१

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सोरहवा प्रभाव भावार्थ -जब दासी (बरी)ने रीझ कर अपने हाथ से (कृष्णा के ) शरीर पर चंदन लगाया, तब राजा कंस बहुत व्याकुल हुआ और कपट बघुधारी बालक (कृष्ण) फूले अंगों न समाया। (नोट)-इसमें कवर्ग के२ अक्षर क, ना, चदर्ग के तीन अक्षर च, छ, झ, टवर्ग के ३८, ड, ढ, तवर्ग के ५ त, थ, द, थ, न, पवर्ग के ५५, फ, ब, भ, म, और य, र, ल, ब, श, ष, ह, सब मिल कर २५ वर्ण है। (चौवीस वर्ण का दोहा) मूल-अप बक शकट प्रलंब हनि भारयो गज चार । धनुष भंजि दिन दौरि पुनि कंस मथो मदमूर ॥ १७ ॥ शब्दार्थ F-गज = कुवलया। मदमूर= ( मदमूल) मदमस्त । भावार्थ अधातुर, बकासुर शकटासुर, प्रलंबासुर को मार कर कुबाया गज और चाणून को मारा, और मजबूत धनुष को तोड़ कर फिर दौड़ कर मदमस्त कंस को मारा। ( नोट ) इसमें १ अ, और कवर्ग के ३ वर्ण क, ग, घ, चवर्ग के २ च, ज, टवर्ग के ३८, ढ, ण, तवर्ग के थ, द, ध, न, पवर्ग के ४ प, ब, भ,म और य, र, ल, व, श, ष, ह, सब मिल कर २४ अक्षर प्रयुक्त हैं। (तेईस वर्ण का) मूल-सूधी यशुमति नंद फुनि भोर गोकुल नाथ । माखन चोरी झूठ हठ पढ़े कवन के साथ ॥ १८ ॥ शब्दार्थ-लि = (पुनि ) फिर, और भावार्थ-यशोदा बड़ी सीधी है और गोकुलपति नंद जी भी