पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४०५

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सोरहवा प्रभाव (नोट)-भ, क, ग, घ, ज, ड, त, दान, ब, भ, म, र, ल, स, है, ये सब मिलकर ३६ वर्ण । (पंद्रह वर्ण वाला) मुल- ल-जो काहू ते वह सुनै ढूँढत डालत सांझ । तो सारो ब्रज बूड़िहै वाके आंसुनि मांझ ॥ २६ ॥ भावार्थ-(लखी बचन कृष्ण प्रति)-जो वह (राधिका ) किसी से यह बात सुनले कि तुम सरेशाम से दूसरी नायिका को हूँढ़ते फिरते हो, तो समझ लो कि सारा ब्रज उसके आँसुओं से डूब जायगा ( बहुत रोगी) (नोट) समे, अ, क, ज, झ, ड, ढ, त, न, ब, म, र, ल, क, स, ह सब मिलकर १५ वर्ण हैं। (चौदह वर्ण वाला) मूल-ढूंका ढूंकी दिन करौ टकाटकी अरु रैनि । यामें केशौ कौन सुख पैरु करें पिकवैनि ॥ २७ ॥ शब्दार्थ--का ढूंकी करना = छिप छिप कर देखना, झांक झूक कर देखना। टकाटकी = टकटकी लगा कर देखना धैर-गुप्त बदनामी। भावार्थ-( नायिका बन्धन नायक प्रति ) हे कृष्णा ! दिन में तो तुम मुझे झांक झुक कर (छिपे छिपे ) देखा करते हो, और रात में टकटकी लगाकर देखा करते हो, बतलाओ इसमें तुम्हें क्या अानन्द मिलता है, इससे तो ब्रज की पिकनी सखियां गुप्त बदनामी ही करती हैं (तात्पर्य यह कि अब बदनामी होई चुकी, तब केवल देखा देखी ही तक मामला क्यों रहे, प्रेम पंथ में और आगे क्यों नहीं बढ़ते)