पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४०६

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सोरहवाँ प्रभाव भावार्था--हे गोकुलराज (कृष्ण) कलह की सव शपणे भूल गई ? आइना हाथ में लेकर जरा मुह तो देखो, मालूम होता है लज्जा का कलेवा कर डाला है। (नोट)-इसमें क, ख, ग, ज, ब, म, र, ल, ब, स, ह, मिल- कर ११ अक्षर हैं। (दस वर्ण वाला) -लै वाके मन माणिकहिं कत काहू के जात । जौ केहूं वह जानिहै तब कैहै को बात ।। ३१ ॥ भावार्थ-उसके मन रूपी माणिक को तो ले लिया है, श्रव किसी अन्य नायिका के पास क्यों जाते हो। जो किसी प्रकार यह बात उसे मालूम हो जायगी तो फिर उसे कोई कैसे मनावैगा। (नोट)-इसमें क, ज, ण, त,न, ब, म, ल, ध, ह सब मिलकर दस अक्षर हैं। (नव अक्षर वाला) मूल-चंचू चुंगै अंगार गर जाके कर जिय जोर । सो जो जारै जिये कैसे जिये चकोर ॥ ३२ ॥ भावार्थ-जिसकी किरण के बल को हृदय में धारण करके चकोर चौच से अंगार पकड़कर गले से खाता है, यदि वह भी जी को जलाने लगे तो चकोर बेचारा कैसे जियेगा। (नोट)- इसमें अ, ऊ, क, ग, च, ज, य, र, स सब मिलकर केवल नव अक्षर हैं। तवर्ग, पवर्ग का कोई वर्ण नहीं है। (आठ अक्षर वाला) मूल-नैन नवाबहु नेकहू कमल नैन नव नाथ । बालनि के मन मोह लै बेंचे मनमथ हाथ ॥ ३३॥