पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४०७

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४०४ प्रिया-प्रकाश शब्दार्थानवावहु = नीचे करो (लजित हा । मनमय = काम । भावार्थ- हे नवलनेही कमलनयन नाथ अपने नेत्रों को जरा तो नीचे करो (तनिक तो लजित हो) कि स्त्रियों के मन मोहित करके लिये (और फिर अपने पास न रख सके) और उन्हें काम के हाथ बंच डाला। (नोट)-इसमें क, च, थ, न, ब, म, ल, ह मिलकर ८ अक्षर हैं। 'च' की गणना 'ब' के अन्तर्गत मानी जायगी ( देखो इसी प्रभाव का दोहा नं०३) ( सात अक्षर वाला) मूल-राम कामक्स सिव करे विबुध काम सब साधि । राग कामबर बस करे केसव सी आराधि ॥ ३४॥ शब्दार्थ-विवुध-देवता। कामयर - कामवत् सुंदर। सी (सिय) सीता जी। भावार्थ-जिन श्रीराम जी ने शिव जी को कामबश करके देव- ताओं का सब काम साधन किया, उन्हीं कामयत् सुन्दर राम को श्री सीता जी मे सेवा करके अपने वश में कर लिया। (नोट)--इसमें श्र, क, ध, ब, म, र, स सात अक्षर हैं, ('व' को 'च' ही समझो) (छः अक्षर वाला) मूल -काम नाहिने काम को सघ मोहन को काम । बस कीने मन सबन के का बामा का नाम ॥ ३५॥ शब्दार्थ F-काम== कार्य। नाहिने - महीं है। मोहन =कृष्ण । बामान्सुन्दर । वाम दुष्ट, असुन्दर (बुरा)।