पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४१०

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809 सोरहवाँ प्रभाव शब्दार्थ-हीरा=(हियरा) हृदय। हेरि रही ही हारि= खोजते खोजते मन से थक गई। रहि रहि= थोड़ी थोड़ी देर बाद। ररौं रटो, करौं। हरे हरे धीरे धीरे। रारि- मगडा। भावार्थ-(मार्ग के मिलन का वर्णन है } मैं मार्ग में चली जाती थी, कृष्ण रास्ते में मिले और मेरा हृदय हर लिया। मैं खोजने २ मन से थक गई ( कहां तक खोजू ) जब मैंने समझा कि कृष्णा ने ही मेरा हृदय हर लिया है, तब रह रह कर मैं उनसे अपना हृदय लौटा देने के लिये हाहा करने लगी (बिनती करने लगी), तव धीरे धीरे कृष्ण भी झगडा मचाने लगे (कि तुम्हीं ने हमारा हृदय हर लिया है हमें लौटा दो ) मैं उनपर हृदय हरने का दोषारोपण करती थी और वे मुझपर। (नोट)-इसमें र और ह, केवल दो अक्षरों का प्रयोग है। एक अक्षर वाला) मूल-नोनी नोनी नौनि नै नोने नोने नैन । नाना नन ना नाननै ननु नून नूने न ॥४०॥ शब्दार्थ-लोनी - (लोनी = लावण्य मयी) अच्छी, सुन्दर । नौनि = ( नवनि ) लचक, लोच । ने= ( नय ) नीति, प्रेम करने की रीति । नोने = सुन्दर, अच्छे । नाना= अनेक । नन = नाही नाही ( इन्कार सूचक शब्द )। ना= पुरुष (यहां पर यह संबोधन में है अर्थात् हे पुरुष-हे नाथक, यदि तुम पुरुष हो तो समझो कि )। नाननै (न+श्राननै ) वह नाहीं मुख ही की है, मन की नहीं । ननु - क्या (प्रश्न सूचक अध्यय है)। नूनै = (सं० लवण ) नून, नमक । नूनै न = कम नहीं है।