पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४१३

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प्रिया-प्रकाश भावार्थ-(डूबते हुए गन प्रति किसी का उपदेश है ) हे (गोग- गज ) जल में डूबते हुए गज, (गोगै गी गो) गोविंद से कहो कि मैं गाय हूँ (तुम्हारी गऊ हूं) अर्थात् दीनता पूर्वक उसका सरण करो। उस जीव के जीव (प्राणाधार ) को देखकर (ध्यान में ) तू जो जायेगा (बच जायगा), उस अच्छे से अच्छे ( सहायक ) को पुकार और ( ररि हाहा ) हाहा खाआ (दीनता पूर्वक बिनय कर ) यह जो तुझे पकडे है, यह ग्राह नहीं है हूहू नामक गंधर्व है। (वहिापिका अन्तर्मापिका ) मूल- उनर बरण जु बाहिरै बहिलापिका होय । अंतर अंतरलीपिका यह जानै सब कोय ॥ १३ ॥ भावार्थ-कुछ छेदों में कुछ प्रश्न किये जाते हैं और जहां उत्तर के अक्षर समझ कर बाहर से निश्चित करने पड़ें वहां अहिापिका अलंकार माना जाता है, और जहां उत्तर के अक्षर उसी छंद मै सम्मिलित हो वहां अंताधिका कहते हैं, यथा:- (वहिापिका का उदाहरण) मूल-अक्षर कौन विकल्प को, युवति बसति केहि अंग । वाले राजा कौने छल्यो सुरपति के परसंग ॥ ४४ ॥ ( व्याख्या)-इसमें तीन प्रश्न हैं (१)-विकल्प का अक्षर कौन सा है, (२)-स्त्री का स्थान किस अंग की ओर है, और (३)-इन्द्र का पक्ष करके राजा बलि को किसने छला। पहले का उसर है 'वा' । दुसरे का उत्तर है 'वाम' और तीसरे का है 'वामन' 1 'वामन' शब्द में क्रमशः चे सब अक्षर