पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

प्रिया-प्रकाश (दुनः फबिस) भूल कोल काहि धरी धरि धीरज धरम हित, मान्यो केहि सूत बलदेव जोर जब सों। जांचै कहा जग जगदीश सों केशवदास, गायो कौने रामायण गीत शुभ रव सों। जन्न अंग अवदात जात बन तातन स्यों, कही कौन कुंती मात बात नेह नव सों। चाम ग्राम दूरि करि देवकाम पूरि करि, मोहे राम कौन सा संग्राम 'कुश लव सौ ॥५४॥ शब्दार्थ-कोल: =बाराह भगवान । सूत= सूत पौराणिक जब-जेग । अङ्ग अवदात= शुद्ध श्रङ्ग वाले। तातन स्यों- भाइयों सहित । बाम = स्त्री (अर्थात् सीताजी)। ग्राम = अयोध्या भावार्थ-(१) धीरज धर कर बाराह भगवान ने धर्मरक्षा हेत किसको धारण किया ? (२) श्रीबलदेव जी ने बड़े बेग से पौराणिक को (कुरुक्षेत्र में )किल अस्त्र से मारा ? (३) सारा संसार ईश्वर से क्या मांगता है ? (8) रामायण गीत किसने अच्छे राग से गाये थे ? (५) जब शुद्ध श्रङ्गवाले युधिष्ठिर भाइयों सहित बन को जाते थे तब कुंती माता ने नेह सहित कौन बात कही थी और, (६) जब अपनी स्त्री (सीता) को अयोध्या से निकाल कर देवकार्य पूर्ण किया था, तब संग्राम में श्रीराम जी किसके द्वारा मोहित (भूञ्छित किये गये थे। स्थका उचर है "कुश लव सौं"। -