पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४२०

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सोरहवाँ प्रभाष (व्याख्या)-पहले प्रश्न का उसर है 'कु' प्रधांत पुरकी। दूसरे का उत्तर है 'कुश' (कुरुक्षेत्र में बलदेव जी ने क्रुद्ध होकर सूस पौराणिक को 'कुश' फेंककर मार डाला तीसरे प्रश्न का उत्तर हुआ 'कुशल', चौथे का उत्तर हुआ 'कुराख । पाचचें का उत्तर हुअा 'कुशल बसो' (कुशल से रहो)-यहां धको व समझो और अनुस्वार का कोई विचार न करो.-- (चित्रालंकार में यह दोष न माना जायगा) और अन्तिम प्रश्न का उत्तर हुअा 'कुश लव सौ' । ( व्यस्तगतागत उत्तर वर्णन) भूल - एक एक तजि बरण को युगयुग बरण विचारि । उत्तर व्यस्त गतागतान एक समस्त निहारि ॥ ५५ ।। भाधा-इसमें सबसे अंत में तो एक समस्त उत्तर होता है, और उसके पहले के प्रश्नों के उत्तर इस कार निया- साई है कि पहले दो अक्षर लिये, वह पहले प्रश्न का उत्सर होगा. फिर इनमें से पहले अक्षर को छोड़ा और दूसरे अक्षर में भागे का एक अक्षर और मिलाया, यह दूसरे प्रश्न का उत्तर होगा। इसी प्रकार क्रमशः एक छोड़ते एक मिलाते अन्त तक चले गये। ये व्य जगत उत्तर हुए। फिर अन्त से TRE कर इसी प्रकार करते गये । जो उत्तर निकले धान श्रात उत्तर होगे। और अन्त में एक समस्त (सश मिलाकर एक ) उत्तर होगा। यह बड़ा कठिन अलंकार है। (यथा) मे लई लंक, काहे पीत पट, होत, केशोदास कौन शमिये समा में मंद ।