पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४२२

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सोरहवा प्रभाव ४१६ ३ कोन स्त्री अजीत है? ३-परा (जरावस्था-"को ज' मानो) ४ गुणी क्या गाते हैं? ४-रागा ५-सापों में क्या भरा है ? ५-पार (जहर) ६-पशु(हिरन)किसपर मोहता है?६-ख (शब्द-श्रनुस्वार छोड़दो) तपी जन तप कहां करते हैं ? अन्बन (जंगल) में और अंत में प्रश्न है कि "इन्द्रजीत कक्षं बसते हैं", जिसका एक समस्त उत्तर है कि "नवरंग राय के मन में। (नोट)-'इन्द्रजीत' उस राजा का नाम है जिसके दरबार में 'केशव' रहते थे, और उसके दरबार की एक वेश्या का माम है "नवरंगराय । (देखिये प्रभाव १ छंद ४,४८) मूल-उत्तर व्यस्त गतागतनि कछु समस्त के जानि । केशवदास विचारि कै भिन्न पदारथ अनि ॥ ५७ ॥ भावार्थ-इस चित्रालंकार में कुछ तो ब्यस्त उत्तर होते हैं और कुछ समस्त । न्यस्त उत्तर गतागत (सीधे उलो होते हैं, और समस्त उत्तर सीधे ही खगाये जाते हैं, पर पदों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं। ( (*UT) मूल-दासनि सों, परसों, परमान की बात सौ बात कहा कहिये नय । भूपनि सो उपदेश कहा, कह रूप भले, केहि नीति तजे भयं ।। आपु विषैनि सों क्यौं कहिये, बिनु काह भये छितिपालन की व्य। न्याउ कै बोल्यो कहा जम 'केशव' के अहिमेध कन्यौ जनमेजय ५०