पृष्ठ को जाँचते समय कोई परेशानी उत्पन्न हुई।
प्रथ
न
सुन्दर चौक पूरो
(१)र कुएं से पानी खींचो
घड़ियाल बांधो
घरी नहीं है
शुभ मुहूर्त नहीं है।
घड़ा नहीं है।
घड़ी नहीं है।
मोती का मोल करो
(२)२ तलवार निकालो
पानी नहीं है
मोती शाबदार नहीं है।
पानीदार नहीं है।
पानी नहीं है।
कपड़ा धोनो
प्रिया-प्रकाश
घोड़ा कुदाश्रो
(३)र शम्द से धोखा दो
रंक का गुण गाओ
जाम नहीं है
घोड़े की जानु नहीं है (कंगड़ा है)
जान (छान ) नहीं है (मैं प्रवीण नहीं)
मैं जानता नहीं (रंकमे कोई गुणानहीं होता)
भावों को जानो
(8); सबके घर जात्रो
लंकाका मन लामो
मैं कवि नहीं हूँ कि भावों को समझू
मैं कवि नहीं 3 मैं कवि नहीं कि सबको प्रसन्न कर सकू
मैं शुक्राचार्य नहीं कि राषण से दक्षिणा मागं ।