पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४२९

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प्रिया-प्रकाश भावार्थ-(प्रश्न ) हे अली ! कलह किसकी पूजा की थी ? (उत्तर) हे अली! कालिका को पूजा था। (प्रश्न )-(किल ) निश्चय करके कौन जीव कंठ का अच्छा होता है। ( उत्तर ) कोकिल ही कंठ को अच्छी होती है। (अर्थात् रूप की तो अच्छी नहीं होती, पर कंठ की अच्छी होती है- (मधुर स्वर से बोलती है) (प्रश्न ) सदा कामी किसको कहना चाहिये? (उत्तर)-कोक ( चकवा ) का हृदय सदा कामी होता है ( अर्थात् सदाही संयोग चाहता है वियोग से दुखी होता है) (प्रश्न)-(लीक-सत्य करके, वास्तव में) काली कौन वस्तु है ? क्योकि 'अलीक' का अर्थ होता है 'असत्य' अतः 'लीक' का अर्थ होगा 'सत्य' (वास्तव में) ( उत्तर )-का=खराब। बहुत खराव और काली वस्तु है लोक ( काजल की रेखा अर्थात् कलंक की रेखा) (व्यस्त गतागत वर्णन) मूल-सूधो उलटो बांचिये औरहि औरहि अर्थ । एक सवैया में सुकवि प्रगटित होय समर्थ ॥ ६६ ॥ भावार्थ-व्यस्त गतागत अलंकार उसे कहते हैं जिसमें सीधे पढ़ने से और अर्ध निकले, और उलट कर पढ़ने से कुछ और अर्थ निकले । यदि कोई कवि ऐसा एक सवैया भी कह सके तो उसका सामर्थ्य ( कवित्व शक्ति ) प्रगट हो जाता है। (यथा) मूल-सैन न माधव, ज्यों सर केसद रेख सुदेस सुधेस सबै । नै नव की ताचे जी तरुनी रुचि चीर सबै निमि काल फलै।