पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४३५

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४३२ प्रिया-प्रकाश भावार्थ-संगीत की लेने ( संगीत के शौक ने ) राजा इंद्रजीत को राम रस ( रामभक्ति) में निमग्न कर दिया, मगर क्षुद्र- गीत जन ( कमीना लोग) संगीत में ले होकर (डूबकर ) कामवश होकर दीन होगये । (सूचना)- इस दोहे से नीचे लिखे ४ प्रकार के चित्र बन सकते हैं। (१)-गोमूत्रिका चक्र! द्रजीत संगीत लै कि ये राम रस लीन छुद्र गीत संगीत लै भये काम व सदी न (नोट)-इसे गोमूत्रिका इस लिये कहते हैं कि बैल ( गो ) जब भूतता हुआ चलता है तब उसके मूत्र से जैसी टेढ़ी मेही रेखा बनती है, उसी प्रकार की इसके अक्षरों की गति भी हो सकती है। अर्थात् नीचे खींची हुई टेढ़ी रेखा के समान भी इसके अक्षरों की गति हो सकती है।