पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४४२

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सोरहवाँ प्रभाव ४३६ (सूचना)-इस छंद का अर्थ तो हम से नहीं हो सका। इसका चित्र यों है:- सीतासी न / सी | ता | सी र मा ता सीमा मा सी न र र dan न ली र न सीमा मा सी ली लीक तारमा सी तासीन सी तासी (दूसरा सर्वतो भद्र) मूल--काम देव चित्त दाहि । बाम देव मित्र दाहि । राम देव चित्त चाहि । धाम देव नित्त माहि ।७७ भावार्थ -काम देव चित्त को जलाता है, अत: शिव को अपना मित्र बनाकर उसे जलाशे। तब चित्त से राम जी को देखो ( मन लगा कर राम भजन करो) तो तुम्हारा धाम देवताओं के नित्य धाम में होगा।