पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
[ ३ ]


३-कामसेना (देखो प्रभाव ११ छंद नं०३५) ४-राजा चंद्रसेन ( देखो प्रभाव ११ छंद नं० ३८) ५-चंद (राजा बीरबलका दर्वान)-(देखो प्रभाव १३ छंद ३७) ६-विट्ठलनाथ गोस्वामी ( देखो प्रभाव १६ छंद नं० १९) कई एक प्रतियों में १४वें प्रभाव के अंत में नायिका का नखशिख वर्णन भी सम्मिलित पाया जाता है, परंतु हम उतने खंड को इस ग्रंथ का अंश नहीं मानते, अतः हमने उसे छोड़ दिया है। सोलहवें प्रभाव के अंतिम २५ छेदों का अर्थ नहीं लिखा गया। कारण यह है कि हम ऐली रचनाओं को अब साम- यिक नहीं समझते। इसी से उनके अर्थ समझाने की हमने कोशिश नहीं की। पाठक चाहें तो ऐसा भी मान सकते हैं कि हम उनका श्रार्थ नहीं कर सके। यदि केशव की कृपा बनी रही तो अगले वर्ष केशवकृत 'रसिकप्रिया' की टीका भी पाठकों के सम्मुख उपस्थित जो सज्जन टीका की भूलें बतलावेंगे, उनकामकट हम कृतज्ञ होंगे और अगले संस्करण में सुधार करेंगे। अतः साहित्य मर्मज्ञ पाठकों से निवेदन है कि वे इस टीका को सुधारक दृष्टि से अवलोकन करके हमें कृतार्थ करें। विनीत गा दशहरा संबत १९८२ भगवानदीन काशी