पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७१
पाँचवा प्रभाव


जो अन्य बुरे मानसिक भाष हैं, उनका भी काला ही रंग समझ लो । कृष्णसरूप-कृष्ण जी का रूप भी काला जानो नोट-ऊपर गिनाई वस्तुओं का रंग काला है। इन्हीं में से कुछ काली वस्तुओं का सहारा लेकर केशव जी नीचे लिखी सुन्दर उक्तियाँ कहते हैं। मुल--बैरिन के बहु भांति देखतही लागि जाति, कालिमा कमलमुख सब जग जानी है। जतन अनेक कार यदपि जनम भार, धोवत हू छुटति न केशव बखानी है। निज दल जागै जाति, परदल दूनी होति, अचला चलति यह अकह कहानी है । पूरन प्रताप दीप अंजन की राजै रेख, राजै श्री रामचन्द्र पानि न कृपानी है ।। २६ ॥ शब्दार्श-कालिमा=कारिख । परदल दूनी होति - शत्रुदल में उसकी जोति ( रणभूमि में पड़े हुए रत्नाभूषणों के प्रति विंब से ) दूनी होती है। अचला चलति = समस्त पृथ्वी निवासी शत्रु विचलित हो जाते हैं। अकह -अकथनीय । पानि = हाथ । कृपानी( कृपाण ) तलवार । भावार्थ-समस्त जग में यह बात प्रसिद्ध है कि राम जी की तलवार ऐसी है कि उसे देखते ही शत्रुओं के मुख कमी में ऐसी कारिख लग जाती है कि जीवन भर अनेक यत्नो से धोने पर भी नहीं छूटती । अपने दल में जितनी उसकी जोति जगमगाती है उससे दुगुनी शत्रु दल में हो जाती है। उसके भय से समस्त पृथ्वी निवासी शत्रु विचलित हो जाते हैं, .