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प्रेमघन सर्वस्व

पीट कर मना देना ही आपका सिद्धान्त है, और किसी दूसरे की बात मानना तो जानते ही नहीं चाहे वह कैसा भी हो तो क्या? शरीर आपका अत्यन्त स्थूल है, और अवस्था पचास वर्ष की है परन्तु स्वभाव बीस वर्ष, के युवक के समान। उन्होंने संसार में केवल तीन वस्तु सार समझा है, अर्थात् भङ्ग, भोजन और मिड़न्त इससे आप प्रातःकाल ही पाव भर जलेबी चाम, और कागावासी गढन्त बूटी छान चेलों को अखाड़े में लड़ाभिड़ा और भोजन करके तब यजमानों के यहाँ पाठ पूजा करने जाते, और जैसे हो बिना कुछ, टेंट में खोंसे घर नहीं लौटते, अगर और कहीं तार न लगा तो किसी मित्र ही, के द्वार पर धरना दे बैठ गये, और कुछ पूजा पाकर तब उठते, फिर संध्या कों वे विमल विजया पान कर तब से निकलते हैं। आप गाना और कविता करनी भी अपनी जान अच्छी जानते और आचार्य तो आप अपने को सब वस्तु का मानते, परन्तु एक विषय का प्राचार्य उन्हें हम लोग भी स्वीकार करते हैं, और यह हास्य का। इस कारण कि कभी वे मेरे वा इसरे मित्र के यहाँ आ विराजते तो इतना हंसाते कि पेट में बल पड़ पड जाता और लोग लहालेर हो प्रसन्न हो जाते हैं। परन्तु जर वे किसी से भिड़ जाते तो उसके प्राण के पड़ जाते, बिना उसे भली भाँति ध्वस्त किये और किसी भाँति नहीं मानते, यद्यपि अंदालत के मुकदमा चलाने से श्राप डरते भी इतने हैं कि जितना चाहिए। जिस दिन कहीं बूटी तनिक अधिक श्रा गई, तब तो फिर कहना ही क्या है जिधर झुके उधर ही संघार डाला, यदि अपनी विद्वत्ता दिखाने लगे तो समस्त यूरोपीय विद्वानों को भी मूर्ख सिद्ध करके छोड़ दिया और रेल, तार,बई सब का प्रमाण अपने शास्त्र से दे चले और ऐसा पहुँच कर विचित्र अर्थ दे. चले कि बस सुनकर बृहस्पति भी चौकाने हो जाय, जो गाने लगे तो प्रति ताल के ऊपर तानसेन और सदार को गालियाँ दे चले, कि क्या कहैं। मूर्ख इस समय में न जन्मे कि हम उन्हें कुछ सिखाते। इसी भाँति जन्म ऋत्रिता भी सुनाने लगेंगे तो मूं बन्द न होगा चाहे आपको अच्छी लगे या नहीं, परंतु, दोनों अवस्थानों में आपको उनकी प्रशंसा अवश्य ही करनी होगी, नहीं तो वे क्रुद्धित हो मार भी बैठे तो कोई आश्चर्य नहीं। निदान जब कभी वे या जाते तो किसी भांति उठाने से भी नहीं उटते, और न किसी को किसी भाँति उठने देते और सच तो यह है कि किसी को उठने का चित भी नहीं चाहता, कैसा ही कोई दुखी और शांचित क्यों न हों आपके दर्शन ही. से उसे हँसी आने लगेगी। किन्तु उनके आने के साथ ही हँस देने से वे बहुत कुद्धित हो. जाते,