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गुप्त गोष्ठी गाथा

परख कर एक मेम से सगाई कर और बैरिष्टर होकर निज देश में आ जाति से बहिष्कृत हुए हैं। किन्तु धनी के पुत्र होने से पैतृक सम्पत्ति में निज भाग लेकर चैन उड़ाते हैं, और भरपूर वा बहुत अधिक मिहन्ताना लेकर तब किसी मुकद्दमें को लेते वा लड़ते हैं, नहीं तो रात दिन इन्हें अपनी मेम साहिबा की सूश्रूषा करते बीतता, अथवा उन्हें हवा खिलाने, और गेंदे खिलाने, मित्रों से मिलाने, क्लब, कमेटी, थिएटर और होटलों में ले जाने वा कमरा और पाई बाग़ सजाने, गाड़ी घोड़े, और कम्पाउण्ड साफ कराने, बिल और नौकरों का हिसाब चुकाने, अथवा श्याम्पेन सुरूर में उनसे बतलाने और परस्पर ज्ञान और गुण सीखने सिखलाने से जो समय बचता उसमें उन्हें प्रथम तो फैशन का विचार आवश्यक रहता है;......कि लेटेस्ट फैशन यूरूप का कौन सा निकला है जिसे शीघ्र स्वीकार करें, और जो चाल पुरानी हुई उसे दूर धरै, जिसके लिए वे अनेक अँग्रेजी अख़बार मोल लेते और जिस अँगरेज़ से मिलते पहिले यही प्रश्न करते कि "कृपाकर बतलाइये कि यह कोट अभी आउट-आफ-फैशन तो नहीं हो गई।" नित्य घन्टों कलकत्ते, बम्बई तथा फ्रान्स और लण्डन के प्रसिद्ध दर्जियों की दूकानों के कैटलाग खोलते बीतता है। आज रैकिन तो कल ह्वाँइटवेलेडला[१] नहीं तो एकदम लण्डन ही को आज्ञा गई कि "नवीनाति नवीन कट् और ताज़ा फैशन का सूट बनाकर मेजो।" इसके अतिरिक्त आप को दिन भर में चार पाँच बार कपड़ा पहिनने और बार बार साबुन से मूं धोने कंघी और ब्रश करने में कई घण्टे लग जाते हैं, क्योंकि वे असल साहिब बनना चाहते हैं। यहाँ तक कि हाथ मिलाने में इतनी सावधानी रखते हैं कि कहीं अंग्रेजी सभ्यता के विरूद्ध न होने पाये।

आप से हम लोगों की बहुत पुरानी मैत्री है, इसीलिये वे हममें से कई लोगों को निपट गंवार भी समझते हुए कृपा रखते, और हम लोग भी उनके साहिब लोग बन जाने पर भी वही पुराना प्रेम रखते हैं, हम लोगों में से कई जन उनके यहाँ जाते तो वह अपनी प्यारी मेम से मिलाते और वे हम लोगों को अनेक अँगरेज़ी सभ्यता की शिक्षा देने लगती, एवम् स्त्री और पुरुष के सत्व के भेद को बतलाती, और परस्पर उन दोनों के अधिकार और प्रेम सम्बन्ध और रहन सहन को भली भाँति समझाती और सिखलाती। हमारे मित्र कान पंछ दबाये टुकुर टुकुर ताकते सुनते और सिर हिलाते जाते। वे बार बार


  1. अंगरेजी दूकाने