पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 2.pdf/१२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९२
प्रेमघन सर्वस्व

लिये वे हजार नवाब साहब का दिल से भी ज्यादा अज़ीज़ हैं, और सच तो यह है कि इन दोनों साहिबों में एक जान दो कालिब का सुआमला है। हरजा और हर हालत में इनका जुग कभी नहीं फूटता, सदा साथी चिमटे रहते, हर बातों में बराबर दोनों को एक सा मज़ा आता, जिससे उनको जितना वास्ता है, इनको भी कुछ उसी के बराबर है,और जिनसे जैसी रशवत व मुहब्बत या नंकरत उन्हें है इन्हें भी वैसी ही है, लिहाजा उनका दिली दोस्त और यारिगार हम इन्हीं को मानते हैं। इसी वजह से जब वह हमारे नवाब साहिब के साथ हम लोगों के घर आते तो हम लोग भी इनकी वैसे ही इज्ज़त और इताअत करते हैं। हम लोगों में से जिस किसी के घर या खास जमघटे में जब कभी हमारे नवाब साहिब रौनक बख्खुशते, लो सचमुच रौनक बरवशते, और बहुत ही ज़ियादा मज़ा लाते हैं। आप महज़ बेतकल्लुफी से रहते, और जहाँ से तकल्लुफ़ अाया कि चटपट खिसक देते हैं, और फिर हगिज़ हर्गिज़ नहीं बैटते। अब हम लोग कभी अपने नवाब साहिब के दरेदौलत पर हाज़िर होते, तो एक बारगी वहीं सारे लखनऊ का खुलासा देख लेते। कभी देखिए तो कबूतर और कनकव्वे। (गुड्डी वा पतंग) उड़ रहे है। कभी मुर्ग बटेर या लाल और बुलबुल लड़ रहे हैं, ताश, गञ्जीफा, या शतरंज चौसर मच रहा है, या कि गाना, बजाना, नाचना, बताना और रिझाना शुरू है, कभी भाँड़ और अताईयों का मुजरा, और कभी कथक और कलावंतों की करामात दिखाती, कनी शायर और रेखताबाजों को वाह सुनाई देती है, कभी चण्डू और सदकबाज़ों की पिनक के साथ की लम्बी चौड़ी बातें, और कभी इश्क के चोट की धातें हो रही हैं। चीदा-चीदा माशूकि-दिल-फिरेब और एक से एक चढ़ी बढ़ी चुनिन्दा परीपैकरों का परा जम रहा है, और उनके नखरे और चोचले, इश्वें और करिश्में, अदा और अन्दाज़ को देख-देख कर दिल के सौ-सी टुकड़े हुए जाते हैं। कभी मये गुलगू के दौर चलते, और लोग अपने-अपने होश व हवास खो बहक बहक कर कुछ अजीब व ग़रीब तमाशे करते, और कोई बदहोश हो जीत मरे पड़े हैं। कोई बेशराब पिये ही सिर्फ इश्क के नशे से चकनाचूर हो रहा है और कभी खास-खास चुने अच्छे अच्छे लोगों का दार लगा है और वह अदब और कवायाद की पावन्दी है कि जैनी चाहिए।

हमारे मित्र नवाव साहिब कभी तो शराब-वस्ल में मसरूर बहेएश में गा, और कभी मामूम बैठे अपने प्यारी और भोली सूरत को उदास बनाये, सा झुकाए, ऊब-ऊबकर श्राइस भरते और नाले भरते किसी माह बी माशूक