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प्रेमघन सर्वस्व

सो देश के जन साधारण को भी इस समय कांग्रेस में मिलाने का प्रयोजन है। यद्यपि सदैव लिखे पढ़े देशवासी ही विद्याशून्य देशवासियों के प्रतिनिधि होंगे; परन्तु उन से प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापन करने के लिये गांव-गांव में पञ्चायत बनाने की बड़ी भारी ज़रूरत हुई है। इस बार की कांग्रेस में यदि और किसी बात की आलोचना न हो तो केवल इसी बात की आलोचना कर पञ्चायत स्थापन करने की व्यवस्था पक्की करने की बड़ी भारी आवश्यकता हुई है। उन्हीं पञ्चायतों के द्वारा वर्तमान लिखे पढ़े लोग ही प्रतिनिधि बनकर कांग्रेस करेंगे। उस दशा में कांग्रेस को जन साधारण में सम्बन्ध रहित कहनेवाले वैसा फिर कहने का साहस नहीं करेंगे और उनकी कहने न कहने की कोई परवा न करने पर भी उसी प्रकार की कांग्रेस से सब प्रकार देशोपकारक कार्य हो सकेगा। सो पञ्चायत स्थापन ही इस बार की कांग्रेस का सर्व प्रधान लक्ष्य होना चाहिये।" निश्चय हमारे सहयोगी की सम्मति बहुत उचित और माननीय है, क्योंकि बहुतेरे देशहितैषियों की यही उत्कट कामना भी है, जिसके लिये कुछ लोग तत्पर भी हो गये हैं। सुतराम् अवश्य ही उक्त प्रकार की पञ्चायत स्थापन कर कांग्रेस को विशेष परिपुष्ट करना नितान्त आवश्यक है।

१९६३ बै॰ आ॰ का॰