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प्रेमघन सर्वस्व

कार को दूर कर सद्धर्म के उजेले में लाने का विशेष उद्योग नहीं किया, नहीं तो मुहम्मदीय-धर्म जिस के मूल सिद्धान्त बहुत ही कच्चे और निरे चर हैं भारतीय धर्म के समक्ष कब रहर सकता। परन्तु यहाँ तो लोग उन्हें अस्पृश्य और अभाष्य मान उनसे उपेक्षा ही करते रहे। उन्होंने जैसे अपने वीरदर्प से शत्रुओं की उपेक्षा करते करते हीनबल ही परवशता की बेड़ी पहन ली, धार्मिक अभिमान से प्रमत्त हो अधर्म के भी प्रवर्तक हुए और अपने धर्मद्राहियों की इतनी संख्या वृद्धि कर दी, कि नित्य उनके हाथों आज धर्म का संहार देख यद्यपि परवश पड़े रोते, तौभी उसके मूल कारण का प्रतीकार करने में आनाकानी करते हैं। यह अपने आस्तीनों में साँप पालकर निश्चिन्त पड़े सोते, तौभी अद्यापि उनके कानों पर जूँ नहीं रेंगते।

हमारे इसी प्रान्त और इसी नगर के दक्षिण पार्श्व में चिन्तामनपुर आदि ग्राम है। वहाँ शाही जमाने के मुसलमान हुए क्षत्री लोग बसते हैं। जो न तो मुसलमानों का हुक्का पीते, न गोवध करते, न गोमांस खाते हैं। व्याह शादियों में भी पण्डित ही पुरोहित से काम लेते और अधिकांश रीति रस्म उनमें अभी तक पुरानी हिन्दुस्तानी ही बरती जाती है। परन्तु अद्यापि किसी हिन्दू समाज, सनातना आर्य्यं सिख, दयानन्दीय समाज वा ब्रह्म समाज की ओर से कुछ भी कमी उद्योग न हुआ कि वे किसो प्रकार के तो हिन्द फिर बना लिये जाते। यहाँ तो "मद्योच्छिष्टघटम् यथा त्याज्य कह ही कर लोग सन्तुष्ट होने वाले है, चाहे उन्हीं के हाथों अग्नी कैसी ही नैतिक, सामाजिक और धार्मिक हानि क्यों न उठायें।

अस्तु, अब भी बिना विलम्ब के हमको चाहिये कि हम अपने विधर्मी शत्रुओं से धर्म विजय पाने के अर्थ अपनी चतुरंगिनी सेना को संवार और सुधारकर उनमें ऐक्य और उत्साह को बढ़ाते हुए धर्म युद्ध के लिए सन्न होबा समाज रूपी सफर मैंन को उस कुपथ को स्वच्छ करने के अर्थ धागे बढाये। सिक्खों की सम्प्रदाय के तोपखाने को प्रस्थानित करें। भगवद्भक्ति रणवाद्य बजाते, विजय वैजयन्ती उड़ाते अनेक वैधावादि वैरागी-वालेण्टियरों को बढाते, दयानन्दीय समाजियों की पदातिक सेना को उनपर तर्कशस्त्रात का आदेश दें एवम् सनातन धनी अश्वारोहियों को उनके पीछे चलाते, कर्म ज्ञान उपासनादि सद्धर्मोपदेश रूपी नाना प्रकार के गोले बरसाते विरुद्ध धर्मियों के मिथ्या विश्वास दुर्ग को तोड़कर भारत में केवल भारतीय धर्म का एकछत्र राज्य स्थापन करें हमारे जिन शस्त्रों से आज यूरोप और अमेरिका