पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 2.pdf/२९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६१
पुरानी का तिरस्कार और नई का सत्कार


आगे अंगरेज़ों में बहुतेरे यदि दाढ़ी रखते; तो मूँछ नहीं और यदि मूँछ रखते थे, तो दाढी नहीं; किन्तु अब उन्होंने प्रायः दाढ़ी और मूँछ दोनों सफाचट करना आरम्भ किया है—कदाचित् इस अभिप्राय से कि जिसमें सदा सोलह वर्ष के मालूम हो, अथवा स्त्री का परिच्छद धारण करते ही बिना कठिनाई के मेमों के मेल में मिल जाँय और किसी को कुछ भी पता न चले। विशेषतः यदि नाटकों के अभिनय में ऐसी आवश्यकता आ पड़े तो उसके आगे पीछे कुछ परिवर्तन करना न पड़े। फिर कौन जाने कि वह जोरू की गुलाम जाति उन्हीं के कहने से इस चलन को स्वीकृत किये हो, क्योंकि मुखचुम्बन के समय—कि जो प्रथा उनके यहां अति अधिकता से प्रचलित है बहुत सा बाल दुःख का हेतु होता ही होगा। इसके अतिरिक्त यदि हमारे देश की स्त्री अबला, तो वे प्रबला होती हैं, सुतराम् वे किसी प्रकार पुरुषों को आगे कदापि नहीं बढ़ने देना चाहती; कौन जाने कि वे यह समझ कर अपने अपने पुरुषों को इस बेअदबी करने से रोकती हों कि जब हमारे मुँछदाढ़ी नहीं, तो तुम भी हमारी तरह साफ सूरत रक्खो कि जिससे हम से अधिक तुम में कुछ न हो। समान वस्त्र पहन जिसमें हम और तुम दोनों तुल्य स्त्री वा पुरुष बन सके और कभी कोई विभेद न रहे। कहो, कैसा? क्या अच्छा सुबीता और कैसा परस्पर प्रेम का निर्वाह है। जो हो, हमें यहां केवल कमी का आश्चर्य है कि हमारे देशवासियों ने इसका अब तक अनुकरण नहीं किया, विशेषतः मध्य और पश्चिमीय भारतीयों और उसमें भी खास कर मुसलमानों ने। कैसी लज्जा का विषय होगा कि यदि अंगरेज़ी फैशन के नकाल इतने अंश में अपनी शिथिलता दिखलायेंगे

अंगरेज समाज की अधिष्ठात्री देवी केवल कोमलाङ्गी लेडी लोग ही हैं। इसी से वहाँ का सारा फैशन प्रायः उन्हीं के आधीन है, जिन्होंने हमारे यहां से सीख यद्यपि अपनी बहुत कुछ दशा सुधारी, तो भी उनकी जातीय हठधरमी और विलास-लालसा ने उनमें अभी वह आनन्दन आने दिया कि जो स्वाभाविक था। उन्होंने अपने कमाचीदार गौन को—जो किसी बड़े छाते से कम नहीं होता था, छोड़ा और उसके स्थान पर क्रमशः दूसरे उलट फेर भी किये, परन्तु अभी ठीक पर न नाई नितम्ब गुरुत्व कपड़ों के मोम लटका कर लाना चाहा पर, यह न जाना कि दर्जी की कारीगरी विधाता का मुकाबला कब कर सकती है! उन्होंने चौड़ी-चौड़ी पेटियों से जो किसी घोडे की तंग से कदापि कम नहीं, अपनी पेटी कस कर कमर को बाल बराबर