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कांग्रेस की दशा

रख ब्रिटिश राज्य के उच्चविशाल सिंहासन पर बिठाने का संकल्प कर चुकी थी। इसके प्रतिकूल उसके विचार और ही कुछ थे, इसने पश्चिमीय विद्या में शिक्षा पाई थी, वह यह भली भाँति समझ चुकी थी बिना समाजबद्ध हुए देश की दशा सुधारने का प्रयत्न अकेले अकेले व्यर्थ होगा, वह यह जानती थी कि चाहे अँगरेज सिविलियन हमारे देश की भाषाओं में क्यों दक्ष न हों, चाहे अपनी जीवनी की विशेष अवस्था इस देश में खो, आया और अर्दली, खानसामा और लालबेगी, सर्दार और जमादर की नीव कहानियों को सुन, देश की विद्वत्ता की परख की कसौटी उन्हें क्यों न समझते हो, चाहे सात बाज़, फेटेबाज़, या अम्मामेबाज़, मुंशी लोगों और कत्तीदार, लटदार या हाथ की बंधी पगड़ियों को दिए महाजन लोगों से, जो हुजूर २ करते, धनुद्दी से मुकते, हाँ हाँ, सही सही, बहुत सही कहते क्षण भर को उनसे मिलने को जाते और अच्छा सुनते ही उठ खड़े होते, मिलकर देश की दशा का यथार्थ शान उनकी बातों ही से मान क्यों न बैठे हों। परन्तु उनकी पहुँच हमारी आन्तरिक दशा के जानने तक की कभी हो ही नहीं सकती। इसी से इन अन मिले परदेशियों से विशेष मेल उत्पन्न करने, इनके परम क्लिष्ट कार्य में इन्हें उचित कर्तव्यों के बताने, इनकी भूलों के दिखाने के अर्थ इतना परिश्रम और धन उसने खोना स्वीकार किया था। यह उसे प्रत्यक्ष हो गया था कि यदि ऐसी ही दशा कुछ दिन देश की और रही तो दुर्भिक्ष और अपव्यय की सताई प्रजा में उपद्रव और विद्रोह फैल जायगा। संसार के दुखड़ों का भी अन्त है, सन्तोष की भी सीमा है, मरता क्या न करता, जब भार सहा नहीं जाता, बोझ फेंकना ही पड़ता है, यह उसे स्वीकार न था, वह अशान्ति के फल को देख और पढ़ चुकी थी, इङ्गालैण्ड के अतिरिक्त किसी दूसरे के प्रभुत्व की चाह न थी, भारतवासी भाग्यबल के प्रभाव को मानते हैं, यह भाग्य ही का खेल था जो उसके गोद में बलात् भारत बालक अर्पण किया गया, और अब वह उसके सुखद सर्वजनप्रिय भावों को जान चुका है, कैसे विलग होने की कांक्षा कर सकतें थीं, यही चाह थी जिसने इस मंडली को एकत्रित की थी। परन्तु ऐसे विघ्न इस उपकारी कार्य में डाले गये कि बहुतेरे भीरु तो काँग्रेस के नाम से डरने लगे बहुतों ने तो मारे भक्ति के समाचार पत्रों में कांग्रेस से अपनी बिलमता सूचन की, मानो कांग्रेस में बिना मिले ही इन्हें प्रायश्चित करना पड़ा, धनिकों और राजाओं की बाते और ही कुछ है। इन्हें देश की दशा से प्रयोजन ही क्या है। और यदि है भी तो