केतने गुण्डे डामिल गयेन केतने पायेन फँसिया।
केतने तोरे कारन खोदें जेहल जाइकै मटिया॥
एक परम सुन्दरी नाइन जो अति कुलप नाई से ब्याही जाने से पृष्ठ हो वेश्या हो गयी थी और जिसके अनेक प्रेमी परस्पर लड़ मिड़कर इन दुर्दशाओं को प्राप्त हुए थे।
हर्ष
सब के तो नैया जाली कासी कलकतवाँ रामा।
हरि २—नागर नैय्या जालीं काले पनियाँ रे हरि॥
शक बड़े दुष्टाधिराज के दुष्कर्म के परिणाम का आख्यान।
करूणा
मोहि छोड़ दे मिरजवा मैं तो नागर बभनी।
पनियाँ के धोखे मिरजा दवा पियाय
मोरी जत्तिया बिगारे; मैं तो नागर बमनी।
एक कुलीन कन्या को स्थानिक कोतवाल का छल-बल तथा अन्याय पूर्वक निज पत्नी बनाने पर शोक।
रौद्र
जूड़ा बलिया ने घोड़ा फेंकि मारी बरछी।
जो रे होती मोरि मुलताना रे कमनियां तो चारि पहर तीरन्दाजी करती॥
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की अँगरेज़ों से लड़ाई।
ऐतिहासिक
कासी जी से प्राइल बाटें चोरवा रे साँवलिया।
फिरत बाटें गलियां की गलियां रे साँवलिया।
अथवा
कैसे खेलों रे करिया होइग मिरजापुर बदनाम।
चापट साहेब बापट कीहेन, मनी साहेब बेकाम॥
१८५७ ई॰ का विद्रोह।
चारिउ ओरियों से बागी लड़ैं जूझै टोपीवाल
वै॰ १९२९ का डैङ्गू फीवर।
सावन में बेगमी आई परी चटपटिया॥