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प्रेमघन सर्वस्व

लन में कुछ विशेष विचित्रता न आई। [तैतीसवां परि॰] यह परिच्छेद मानो ग्रन्थ का सार भाग अत्यन्त ही उत्तमोत्तम है, क्योंकि समग्र कथा का निचोड़ इसी में निकलता है, विशेषतः कमला और उपेन्द्रनाथ का सम्मेलन अत्यन्त ही उत्तम रीति से लिखा गया, और साश शुद्ध और प्रशंसनीय है।

[चौतीसवां परि॰ ] राजा टोडरमल के दर्बार की शान शौकत अच्छी दिखाई गई, शकुनी की मृत्यु भी अच्छी रीति से कराई गई।

[पैतीसवां परिच्छेद] यह अन्तिम परिच्छेद है इसमें ग्रन्थ और कथा समाप्ति होती है, इसमें हम बिमला के मृत्यु का वर्णन अत्यन्त नापसंद करते हैं, हर्षप्रद सरला के विवाह के संग विमला की मृत्यु वैसे ही बोध होती है जैसे मिश्री मिश्रित सुमधुर दुग्ध के प्याले में नींबू निचोड़ा जाय। हमारी जान सतीश्चन्द्र के मृत्यु के साथ ही जाली काग़ज़ात राजा टोडरमल को समर्पण कर शकुनी के समय अपराध सूचित कर सरला और इन्द्रनाथ का सम्बन्ध कह अपनी प्रेम दशा और उसके परित्याग पूर्वक पिता के शोक से शोकारी विमला का आत्मघात द्वारा प्राण विसर्जन तीसवें ही परिच्छेद में वर्णन करना उचित था। सारांश यह कि ग्रन्थ निस्सन्देह उत्तम श्रेणी का है क्योंकि कथा अत्यंत उत्तम है प्रबन्ध भी मनोहर और मुख्य गुण स्वभाघ के परिचय का अच्छा दिया प्राकृतिक स्वाभाविक दोनों सुन्दरता का वर्णन सुन्दरता से किया गया—

जैसे कि पच्चीसवें परिच्छेद २४४ पृ॰ में—आकाश में अँधेरी छाई थी आगे पीछे जहाँ तक दृष्टि जा सकती थी केवल जल ही जल देख पड़ता था। झुँड के झुंड मेघों की परछाई उस नील जल में देख पड़ती थी, मन्द पवन के प्रवाह से नदी का जल हिलकोरा मार रहा था उसी तरङ्ग और फेन राशि के ऊपर से नौका चली जाती थी। दोनों किनारों पर कहीं कहीं ग्राम के वृक्ष अमराई में निशाचर श्रेणी की भाँति निविड़ अन्धकार में खड़े थे और वायु वेग से हाहा शब्द करती।

यों ही चौथे परिच्छेद उनतीसवें पृष्ठ में—भीतर से शब्द हुआ और एक घोडश वर्ष की कटीली आँखें वाली चञ्चला किनारेदार साड़ी पहिरे' हाथों में शंख की चूड़ी, पैरों में कड़ा, कमर पर कलशा रक्खे बाहर आई। श्राते ही उसने सरला का जूड़ा पकड़ कर खींच लिया, और चिकोटी काट