यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४५३
नागरी के समाचार पत्र और उनकी समालोचना
हो जाते हैं, यद्यपि उसी दोष के दिखलाने से ग्रन्थकर्ता लाभवान होता, अपनी भूल और कसर कोर से विज्ञप्ति पाकर उसके संशोधन और उसकी पूर्ति में समर्थ होता है। अस्तु जो लोग सच्ची समालोचना नहीं चाहते उन्हें उचित है कि हमारे यहाँ पत्र पुस्तकादि जो भेजें उसके ऊपर समालोचनार्थ न लिखें वा न भेजें।