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आनन्द कादम्बिनी का प्रादुर्भाव


और ईश्वर ने चाहा तो क्या आश्चर्य कि सैरवीन का समासुझा आप की आँखें दिल के सहित हर्षित और प्रफुल्लित करदुँ, और समस्त संसार की एक मात्र राजराजेश्वरी श्रीमती महाराणी संस्कृत देवी की चिरञ्जीवनी वालिका श्रीमती नागरी कुमारी के नवीन बनक और हाव भाव कटाक्ष की चोखी छरियों से बीबी उर्दू की जो सदैव अपनी छल छद्रता के कारण सन्मान के अभिमान से नाक भौं चढ़ाया करती है, बायें हाथ से नाक पकड़ दाहिनी की मदद से काट कर चिहरा सफाचट्ट करके तब छोड़ूँ और अब अधिक कहाँ तक कहूँ भगवान ने चाहा तो कर दिखलाता हूँ, इतने ही में समझ जाव मित्र धन्य! धन्य!! धन्य!!! ईश्वर तुम्हारा मनोरथ सिद्ध करें, अच्छा तो अब बिलम्ब न होना चाहिये।