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156 : प्रेमचंद रचनावली-5
 

रमानाथ–लेकिन कल को म्युनिसिपैलिटी मेरी गर्दन नापे तो मैं किसे पुकारूंगा?

दारोगा–मजाल है, म्युनिसिपैलिटी चू कर सके। फौजदारी के मुकदमे में मुद्दई तो सरकार ही होगी। जब सरकार आपको मुआफ कर देगी, तो मुकदमा कैसे चलाएगी। आपको तहरीरी मुआफीनामा दे दिया जायगी, साहब।

रमानाथ-और नौकरी?

दारोग–वह सरकार आप इंतजाम करेगी। ऐसे आदमियों को सरकार खुद अपना दोस्त बनाए रखना चाहती है। अगर आपकी शहादत बढ़िया हुई और उस फरीक की जिरहों के जाल से आप निकल गए, तो फिर आप पारस हो जाएंगे !

दारोगा ने उसी वक्त मोटर मंगवाई और रमा को साथ लेकर डिप्टी साहब से मिलने चल दिए। इतनी बड़ी कारगुजारी दिखाने में विलंब क्यों करते? डिप्टी से एकांत में खूब जीट उड़ाई। इस आदमी का यों पता लगाया। इसकी सूरत देखते ही भांप गया कि मफरूर है, बस गिरफ्तार ही तो कर लिया ! बात सोलह आने सच निकली। निगाह कहीं चूक सकती है। हुजूर, मुजरिम की आंखें पहचानता हूं। इलाहाबाद की म्युनिसिपैलिटी के रुपये गबन करके भागी है। इस मामले में शहादत देने को तैयार है। आदमी पढ़ा-लिखा, सूरत का शरीफ और जहीन है।

डिप्टी ने सदग्ध भाव से कहा-हां, आदमी तो होशियार मालूम होता है।

'मगर मुआफीनामा लिए बगैर इसे हमारा एतबार न होगा। कहीं इसे यह शुबहा हुआ कि हम लोग इसके साथ कोई चाल चल रहे हैं, तो साफ निकल जाएगा।'

डिप्टी-यह तो होगा ही। गवर्नमेंट से इसके बारे में बातचीत करना होगा। आप टेलीफोन मिलाकर इलाहाबाद पुलिस से पूछिए कि इस आदमी पर कैसा मुकदमा है। यह सब तो गवर्नमेंट को बताना होगी। दारोगाजी ने टेलीफोन डाइरेक्टरी देखी, नंबर मिलाया और बातचीत शुरू हुई।

डिप्टी-क्या बोला?

दारोगा-कहता है, यहां इस नाम के किसी आदमी पर मुकदमा नहीं है।

डिप्टी-यह कैसा है भाई, कुछ समझ में नहीं आता। इसने नाम तो नहीं बदल दिया?

दारोगा- कहता है, म्युनिसिपैलिटी में किसी ने रुपये बिन नहीं किए। कोई मामला नहीं।

डिप्टी-ये तो बड़ा ताज्जुब का बात है। आदमी बोलता है हम रुपया लेकर भागा;म्युनिसिपैलिटी बोलता है कोई रुपया गबन नहीं किया। यह आदमी पागल तो नहीं?

दारोगा-मेरी समझ में कोई बात नहीं आती, अगर कह दें कि तुम्हारे ऊपर कोई इल्जाम नहीं है, तो फिर उसकी गर्द भी न मिलेगी।

'अच्छा, म्युनिसिपैलिटी के दफ्तर से पूछिए।'

दारोगा ने फिरे नंबर मिलाया। सवाल-जवाब होने लगा।

दारोगा—आपके यहां रमानाथ कोई क्लॅक था?

जवाब-जी हां;था।

दारोगा-वह कुछ रुपये गबन करके भागा है?