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200 : प्रेमचंद रचनावली-5
 


दारोगा ने कहा-आज तो आप खूब सोए बाबू साहब। कल कब लौटे थे?

रमा ने एक कुर्सी पर बैठकर कहा-जरा देर बाद लौट आया था। इस मुकदमे की अपील तो हाईकोर्ट में होगी न?

इंस्पेक्टर-अपील क्या होगी, जाब्ते की पाबंदी होगी। आपने मुकदमे को इतना मजबूत कर दिया है कि वह अब किसी के हिलाए हिल नहीं सकता। हलफ से कहता हूं, आपने कमाल कर दिया। अब आप उधर से बेफिक्र हो जाइए ! हां, अभी जब तक फैसला न हो जाय, यह मुनासिब होगा कि आपकी हिफाजत का खयाल रखा जाये। इसलिए फिर पहरे का इंतजाम कर दिया गया है। इधर हाईकोर्ट से फैसला हुआ, उधर आपको जगह मिली।

डिप्टी साहब ने सिगार का धुआं फेंककर कहा-यह डी० ओ० कमिश्नर साहब ने आपको दिया है, जिसमें आपको कोई तरह की शक न हो । देखिए, यू० पी० के होम सेक्रेटरी के नाम है । आप यहां ज्योंही यह डी० ओ० दिखाएंगे, वह आपको कोई बहुत अच्छी जगह दे देगा।

इंस्पेक्टर–कमिश्नर साहब आपसे बहुत खुश हैं, हलफ से कहता हूं।

डिप्टी-बहुत खुश हैं। वह यू० पी० को अलग डायरेक्ट भी चिट्ठी लिखेगा। तुम्हारा भाग्य खुल गया। | यह कहते हुए उसने डी. ओ. रमा की तरफ बढ़ा दिया। रमा ने लिफाफा खोलकर देखा और एकाएक उसको फाड़कर पुर्जे - पुर्जे कर डाला। तीनों आदमी विस्मय से उसका मुंह ताकने लगे । दारोगा ने कहा-रात बहुत पी गए थे क्या? आपके हक में अच्छा न होगा । इंस्पेक्टर-हलफ से कहता हूं, कमिश्नर साहब को मालूम हो जयगा, तो बहुत नाराज। होंगे। डिप्टी-इसका कुछ मतलब हमारे समझ में नहीं आया । इसका क्या मतलब है? रमानाथ-इसका यह मतलब है कि मुझे इस डी० ओ० की जरूरत नहीं है और न मै नौकरी चाहता हूं। मैं आज ही यहां से चला जाऊंगा। डिप्टी--जब तक हाईकोर्ट का फैसला न हो जाय, तब तक आप कही नहीं जा सकता। रमानाथ-क्यों? डिप्टी - कमिश्नर साहब का यह हुक्म है। रमानाथ--मैं किसी का गुलाम नहीं हूँ। इंस्पेक्टर--बाबू रमानाथ, आप क्यों बना-बनाया खेल बिगाड़ रहे हैं? जो कुछ होना था, वह हो गया। दस-पांच दिन में हाईकोर्ट से फैसले की तसदीक हो जायगी आपकी बेहतरी इसी में है कि जो सिला मिल रहा है, उसे खुशी से लीजिए और आराम से जिंदगी के दिन बसर कीजिए। खुदा ने चाहा, तो एक दिन आप भी किसी ऊंचे ओहदे पर पहुंच जाएंगे। इससे क्या फायदा कि अफसरों को नाराज कीजिए और कैद की मुसीबतें झेलिए। हलफ से कहता हूँ, अफसरों की जरा-सी निगाह बदल जाये, तो आपका कहीं पता न लगे। हलफ से कहता हूं, एक इशारे में आपको दस साल की सजा हो जाय। आप हैं किस ख्याल में? हम आपके साथ शरारत