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कर्मभूमि: 323
 

सकीना ने निश्शंके भाव से कहा-अगर उनकी जिंदगी गारत हुई, तो मेरी भी गारत होगी। इतना समझ लो।

बढ़िया ने सकीना का हाथ पकड़कर इतने जोर से अपनी तरफ घसीटा कि वह गिरतेगिरते बची और उसी दम घर से बाहर निकलकर द्वार की जंजीर बंद कर दी।

सकीना बार-बार पुकारती रही, पर बुढिया ने पीछे फिरकर भी न देखा। वह बेजान बर्दिया जिसे एक-एक पग रखना दूभर था, इस वक्त आवेश में दौड़ी लाला समरकान्त के पास चली जा रही थी।

अठारह

अमरकान्त गली के बाहर निकलकर सड़क पर आया। कहा जाए? पठानिन इसी ववत दादा के पास जाएगी। जरूर जाएगी। कितनी भंयकर स्थिति होगी। केमा कुहराम मचेगा? कोई धर्म के नाम को रोएगा, कोई मर्यादा के नाम को रोएगा। दगा, फरेब, जाल, विश्वासघात, हराम की कमाई सब मुआफ हो सकती है। नहीं, उमकी सराहना होती है। ऐसे महानुभाव समाज के मुखिया बन हुए हैं। वेश्यागामियों और व्यभिचयों के आये लोग माथा टेकते हैं, लेकिन शुद्ध हृदय और निष्कपट भाव से प्रेम करना निंद्य है, अक्षम्य है। नहीं, अमर घर नहीं जा सकता। घर का द्वार उसके लिए बंद हैं। और वह घर था ही कब? केवल भोजन और विश्राम का स्थान था। उसमें किसे प्रेम है?

वह एक क्षण के लिए टिटक गया। सकीना उसके साथ चलने को तैयार हैं, तो क्यों न को साथ ले ने। फिर लोग जी भरकर रोए और पीटें और कोसे। आखिर यही तो वह चाहता था, लेकिन पहले दूर से जो पहाड़ टोला-सा नजर आता था, अब सामने देखकर उस पर चढ्ने को हिम्मत न होता थी। देश भर में कैसा हाहाकर मचेगा। एक म्युनिमिपल कमिश्नर एक भुसलमान लड़की को लेकर भाग गया। हरेक जबान पर यही चर्चा होगा। दादा शायद जहर ग्वा लें। विरोधियों को तालिया पीटने का अवसर मिल जाएगा। उसे टालस्टाय को एक कहानी याद आई, जिसमें एक पुरुष अपनी प्रेमिका को लेकर भाग जाता है, पर उसका कितना भीषण अंत होता है। अमर खुद किसी के विषय में ऐसी खबर सुनता, तो उससे घृणा करता। मांस और रक्त से ढका हुआ कंकाल कितना सुंदर होता है। रक्त और मांस का आवरण हट जाने पर वही कंकाल कितना भयंकर हो जाता है। ऐसी अफवाहें सुंदर और सरस को मिटाकर बीभत्स को मृर्तिमान कर देती हैं। नहीं, अमर अब घर नहीं जा सकता।

अकस्मात् बच्चे की याद आ गई। उसके जीवन के अंधकार में वहीं एक प्रकाश था। उसका मन उसी प्रकाश की ओर लपका। बच्चे की मोहिनी मूर्ति सामने आकर खड़ी हो गई।

किसी ने पुकारा--अमरकान्त, यहां कैसे खड़े हो?

अमर ने पीछे फिरकर देखा तो सलीम था। बोला—तुम किधर से?

"जरा चौक की तरफ गया था।"