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348:प्रेमचंद रचनावली-5
 

पयाग ने अकड़कर कहा--बकने दो। न पिएंगे हमारे हाथ का पानी, तो हम छोटे न हो जाएंगे।

काशी बोला-आज बहुत दिनों के बाद सिकार मिला! उसमें भी यह बाधा!

गूदड़ ने समझौते के भाव से कहा--आखिर कहते क्या हैं?

मुन्नी झुंझलाकर बोली-अब उन्हीं से जाकर पूछो। जो चीज और किसी ऊंची जात वाले नहीं खाते, उसे हम क्यों खाएं, इसी से तो लोग हमें नीच समझते हैं।

पयाग ने आवेश में कहा-तो हम कौन किसी बाम्हन-ठाकुर के घर बेटी ब्याहने जाते हैं? बाम्हनों की तरह किसी के द्वार पर भीख मांगने तो नहीं जाते! यह तो अपना-अपना रिवाज है।

मुन्नी ने डांट बताई-यह कोई अच्छी बात है कि सब लोग हमें नीच समझे, जीभ के सवाद के लिए?

राय वहीं रख दी गई। दो-तीन आदमी गंडासे लेने दौड़े। अमर खड़ा देख रहा था कि मुन्नी मना कर रही है; पर कोई उसकी सुन नहीं रही। उसने उधर से मुंह फेर लिया जैसे उसे के हो जाएगी। मुंह फेर लेने पर भी वही दृश्य उसकी आंखों में फिरने लगा। इस सत्य को वह कैसे भूल जाय कि उससे पचास कदम पर मुरदा गाय को बोटियां की जा रही हैं। वह उठकर गंगा की ओर भागा।

गदड़ ने उसे गंगा की ओर जाते देखकर चिंतित भाव से कहा--वह तो सचमुच गंगा की ओर भागे जा रहे हैं। बड़ी सनकी आदमी है। कहीं डुब-डाब न जाय।

पयाग बोला-तुम अपना काम करो, कोई नहीं डूबे-डाबेगी। किसी को जान इतनी भारी नहीं होती।

मुन्नी ने उसकी ओर कोप-दृष्टि से देखा-जान उन्हें प्यारी होती है, जो नीच हैं और नीच बने रहना चाहते हैं। जिसमें लाज है, जो किसी के सामने सिर नहीं नीचा करना चाहता, वह ऐसी बात पर जान भी दे सकता है।

पयाग ने ताना मारा-उनका बड़ा पच्छ कर रही हो भाभी, क्या सगाई की ठहर गई मुन्नी ने आहत कंठ से कहा-दादी, तुम सुन रहे हो इनकी बातें, और मुंह नहीं खोलते।

उनसे सगाई ही कर लूंगी, तो क्या तुम्हारी हंसी हो जाएगी? और जब मेरे मन में वह बात आ जाएगी, तो कोई रोक भी न सकेगा। अब इसी बात पर मैं देखती हूं कि कैसे घर में सिकार जाता है। पहले मेरी गर्दन पर गंडासा 'चलेगा।

मुन्नी बीच में घुसकर गाय के पास बैठ गई और ललकार ओली–अब जिसे गंडासा चलाना हो चलाए, बैठी हूं।

पयाग ने कातर भाव से कहा-हत्या के बल खेलती-खाती हो और क्या!

मुन्नी बोलीं-तुम्ही जैसों ने बिरादरी को इतना बदनाम कर दिया है उस पर कोई समझाता है, तो लड़ने को तैयार होते हो।

गूदड़ चौधरी गहरे विचार में डूबे खड़े थे। दुनिया में हवा किस तरफ चल रही है, इसकी भी उन्हें कुछ खबर थी। कई बार इस विषय पर अमरकान्त से बातचीत कर चुके