पृष्ठ:प्रेमचंद रचनावली ५.pdf/४९३

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कर्मभूमि:493
 

के बीस सभासद उठ खड़े हुए। सेन ने देखा कि यहां कुल चार आदमी रहे जाते हैं तो वह भी उठ पड़े, और उनके साथ उनके तीनों मित्र भी उठे। अंत में हाफिज हलीम का नंबर आया। जुलूस उधर से नैना की अर्थी लिए चला आ रहा है। एक शहर में इतने आदमी कहां से आ गए? मीलों लंबी घनी कतार है, शांत, गंभीर, संगठित जो मर मिटना चाहती है। नैना के बलिदान ने उन्हें अजेय, अभेद्य बना दिया है। उसी वक्त बोर्ड के पचीसों मेंबरों ने सामने आकर अर्थी पर फूल बरसाए और हाफिज सलीम ने आगे बढ़कर, ऊंचे स्वर में कहा-भाइयो । आप म्युनिसिपैलिटी के मेंबरों के पास जा रहे हैं, मेबर खुद आपका इस्तिकबाल करने आए हैं। बोर्ड ने आज इत्तिफाक राय से पूरा प्लाट आप लोगों को देना मंजूर कर लिया। मैं इस पर बोर्ड को मुबारकबाद देता हूँ, और आपको भी। आज बोर्ड ने तस्लीम कर लिया कि गरीब की सेहत, आराम और जरूरत को वह अमीरों के शौक, तकल्लुफ और हविस से ज्यादा लिहाज के काबिल समझता है। उसने तस्लीम कर लिया कि गरीबो का उस पर उससे कहीं ज्यादा हक है, जितना अमीरों का । हमने तस्लीम कर लिया कि बोर्ड रुपये को निस्बत रिआया की जान की ज्यादा कद्र करती है। उसने तस्लीम कर लिया कि शहर को जीनत बड़ी-बड़ी कोठियों और बंगलों से नहीं, छोटे-छोटे आरामदेह मकानो से हैं, जिनमें मजदूर और थोड़ी आमदनी के लोग रह सकें। मैं खुद उन आदमियों में हूं जो इस वसूल की तस्लीम न करते थे। वोई का बड़ा हिस्सा मेरे ही खयाल के आदमियों का थी, लेकिन आपकी कुरबानियो ने और आपके लीडरों की जांबाजियों ने बोर्ड पर फतह पाई और आज मैं उस फतह पर आपको मुबारकबाद देता हूं, और इस फतह को सेहरी उस देवी के सिर है, जिसका जनाजा आपके कंधों पर हैं। लाला समरकान्त मेरे पुराने रफोक हैं। उनका सपूत बेटा मेरे लड़के का दिली दोस्त है। अमरकान्त जैसा शरीफ नौजवान मेरी नजर से नहीं गुजरा। उसी की सोहबत का असर है कि आज मेरा लड़का सिविल सर्विस छोड़कर जल में बैठा हुआ है। नैनादेवी के दिल में जो कशमकश हो रही थी, उसका अंदाजा हूम और आप नहीं कर सकते। एक तरफ बाप और भाई और भावज जेल में कैद, दूसरी तरफ शौहर और ससुर मिलकियत और जायदाद की धुन में मस्त। लाला धनीराम मुझ मुफ करेंगे। मैं उन पर फिकर नहीं कसता। जिस हालत में वह गिरफ्तार थे, उसी हलत में हम, आप और सारी दुनिया गिरफ्तार है। उनके दिल पर इस वक्त एक ऐसे गम को चोट है, जिससे ज्यादा दिलशकन कोई सदमा नहीं हो सकता। हमको, और मैं यकीन करता हूं, आपको भी उनसे कमाल की हमदर्दी है। हम सब उनके गम में शरीक हैं। नैनादेवी के दिल में मैकी और ससुराल की यह लड़ाई शायद इस तहरीक के शुरू होते ही शुरू हुई और आज उसका यह हसरतनाक अंजाम हुआ। मुझे यकीन है कि उनकी इस पाक कुरबानी की यादगार हमारे शहर में उस वक्त तक कायम रहगी, जब तक इसका वजूद कायम रहेगा ' मैं बुतपरस्त नहीं हूं, लेकिन सबसे पहने में तजवीज करूगा कि उस प्लाट पर जो मोह ग आबाद हो, उसके बीचों-बीच इस देवी की यादगार नस्ब की जाय, ताकि आने वाली नसलें उसकी शानदार कुरबानी की याद ताजा करती रहें? दोस्तो, मैं इस वक्त आपके सामने कोई तकरीर नहीं करता हूं। यह न तकरीर करने का मौका है, न सुनने को। रोशनी के साथ तारीकी है, जीत के साथ हार, और खुशी के साथ