पृष्ठ:प्रेमसागर.pdf/१६२

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तिन्हे समझाकर कहने लगा कि मेरा बैरी पास आय बसा है, तुम अपने जी में सोच विचार करके मेरे मन का सूल जो खट- कता है निकालो। मन्त्री बोले―पृथ्वीनाथ, आप महा बली हो, किससे डरते है। राम कृष्ण का मारना क्या बड़ी बात है, कुछ चिंता मत करो, जिस छल बल से वे यहाँ आवे सोई हम मता बतावे।

पहले तो यहाँ भली भाँति से एक ऐसी सुंदर रंगभूमि वन- वावे, कि जिसकी सोभा सुनतेही देखने को नगर नगर गाँव गाँव के लोग उठ धावे। पीछे महादेव का जज्ञ करवाओ औ होम के लिये बकरे भैंसे मँगवाओ। यह समाचार सुन सब ब्रजबासी भेट लावेगे, तिनके साथ रामकृष्ण भी आवेगे। उन्हें तभी कोई मल्ल पछाड़ेगा, कै कोई और ही बली पौर पै मार डालेगा। इतनी बात के सुनते ही―

कहै कंस मन लाय, भलौ मतौ मन्त्री कियौ।
लीने मल्ल बुलाय, आदर कर बीरा दए॥

फिर सभा कर अपने बड़े बड़े रासक्षो से कहने लगा कि जब हमारे भानजे राम कृष्ण यहाँ आवे तब तुममें से कोई उ हें मार डालियो, जो मेरे जी का खटका जाय। विन्हे यो समझाय पुनि महावत को बुलाके बोला कि तेरे बश में मतवाला हाथी है, तू द्वार पर लिये खड़ा रहियो। जद वे दोनो आवे औ बार में पाँव दें तद तू हाथी से चिरवा डालियो, किनी भाँति भागने न पावे। जो विन दोनों को मारेगा, सो मुँह माँगा धन पावेगा।

ऐसे सब को सुनाय समझाय बुझाय कार्तिक बदी चौदस को शिव का जज्ञ टहराय, कंस ने साँझ समै अक्रर को बुलाय