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कदापि इतने यश के भागी न होते। पर यह तो न्यूटन आदि जगत्पसिद्ध विद्वानों के लिये भी कहा जा सकता है।

लल्लूजीलाल के ग्रंथों की सूची

( १ ) सिंहासनबत्तीसी―इस पुस्तक में प्रसिद्ध राजा विक्रम के सिहासन की ३२ पुतलियो की कहानियाँ हैं, जिसे सुंदरदास ने संस्कृत से ब्रज भाषा में लिखा था। उसी का वि॰ सं॰ १८५६ में लल्लूजी ने हिंदी में अनुवाद किया। उदाहरण― खुदा ने जब से उसे दुनिया के परदे पर उतारा सब बेसहारों का किया सहारा और रूप उसको देखकर चौदहवीं रात के चाँद को चकाचौध आती, बड़ा चतुर सुघर और गुणी था, अच्छी जितनी बात सब उसमें समाई थी।

( २ ) बैतालपचीसी―संस्कृत में शिवदास कृत वेलालपंचविंशतिका नामक ग्रंथ है, जिसका सुरति मिश्र ने ब्रज भाषा में अनुवाद किया था। उसी का हिंदी अनुवाद मजहरअली विला की सहायता से हुआ था। उदाहरण―इबतिदाय दास्तान यो है कि मुहम्मद शाह बादशाह के जमाने में राजा जैसिह सवाई ने जो मालिक जैनगर को थी सुरति नामक कवीश्वर से कहा कि वैतालपचीसी को जो जबान संस्कृत में है तुम ब्रजभाषा में कहो। तब मैने बमूजिब हुकुम राजा के ब्रज की बोली में कही। सो हम उसको ज़बान उर्दू में छापा करते हैं जो खास और आम के समझने में आवै।

( ३ ) शकुन्तला नाटक―संस्कृत से हिंदी अनुवाद।