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छोटे व्याकरण को कायदा कहते हैं। ऐसा नाम रखने से यह ज्ञात होता है कि इसके प्रणयन में इन्हें मुसलमान लेखको से सहायता मिली होगी। यह ग्रंथ छपा था, पर प्रकाशित नहीं हो सका। इसकी एक प्रति बंगाल एशाटिक सोसाएटी में सुरक्षित है।

( १० ) लतायफ़ हिंदी―उर्दू, हिंदी और ब्रज भाषा की १०० कहानियों का संग्रह है। छोटी छोटी कहानियों और चुटकुले को लतीफ कहते हैं, जिसका बहुवचन लतायफ है। यह न्यू-एन्साइक्लोपीडिया-हिंदुस्तानी के नाम से प्रकाशित हुआ था।

( ११ ) लालचँद्रिका―सं० १८७५ वि० में अनवरचंद्रिका अमरचंद्रिका, हरिप्रकाश टीका, कृष्ण कवि की कवितवाली टीका, कृष्णलाल की टीका, पठान सुलाने की कुँडलियो-वाली टीका और संस्कृत टीका की सहायता से उन्होंने महाकवि बिहारीलाल की सतसई पर इस नाम की गद्य टीका तैयार की। इसमें नायिका भेद और अलंकार भी दिए है और इसे आज़मशाही क्रम के अनुसार रखा है। डाक्टर ग्रियर्सन ने इसे संपादित करके सं॰ १९५२ वि॰ में पुनः प्रकाशित किया।

उदा॰—उमग के, अश्य और ही लिये, बात करती थी। सो रहीं अबकहीं बातें। देखकर खिसानी नायक की आँखें, करीं रिस भरीं आँखै नायका ने।

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