पृष्ठ:प्रेमसागर.pdf/४०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(३६३)


श्रीकृष्णचंदजी भी सहदेव को साथ ले, भीम अर्जुन सहित वहॉ से चल; चले चले आनंदमंगल से हस्तिनापुर आए। आगे प्रभु ने राजा युधिष्ठिर के पास जाय, जरासंध के मारने के समाचार औ सब राजाओ के छुड़ाने के ब्यौरे समेत कह सुनाए।

इतनी कथा कह श्रीशुकदेवजी ने राजा परीक्षित से कहा कि महाराज, श्रीकृष्णचंद आनंदकंदजी के हस्तिनापुर पहुँचते पहुँचतेही वे सब राजा भी अपनी अपनी सेना ले भेट सहित आन पहुँचे औ राजा युधिष्ठिर से भेट कर भेट दे श्रीकृष्णचंदजी की आज्ञा ले हस्तिनापुर के चारों ओर जा उतरे औ यज्ञ की टहल में आ उपस्थित हुए।