पृष्ठ:प्रेमसागर.pdf/४३३

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गुरुदेव के ह्यॉ से बिछड़े, तब से हमने तुम्हारा समाचार न पाया था कि कहॉ थे औ क्या करते थे। अब आय दरस दिखाय तुमने हमे महासुख दिया औ घर पवित्र किया। सुदामा बोला―हे कृपासिधु, दीनबंधु, स्वामी, अंतरजामी तुम सब जानते हो, कोई बात संसार मे ऐसी नहीं जो तुमसे छिपी है।