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अनि आय। निदान बसुदेवजी औ श्रीकृष्ण बलरामजी ने सब समेत नंदरायजी को समझाय बुझाय पहराय, औ बहुत सा धन दे बिदा किया। इतनी कथा कह श्रीशुकदेवजी बोले कि महाराज, इस भॉति श्रीकृष्णचंद औ बलरामजी पर्व न्हाय यज्ञ कर सब समेत जब द्वारकापुरी में आए, तो घर घर आनंद मंगल भए बधाए।