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आ बास लिया। यह कथा सुन राजा परीक्षित ने शुकदेव मुनि से पूछा―महाराज, नारद मुनिजी ने जो अधिक पाप करवाया तिसका ब्योरा समझा कर कहो, जिससे मेरे मन का संदेह जाय। श्रीशुकदेवजी बोले―राजा, नारदजी ने तो अच्छा बिचारा कि यह अधिक अधिक पाप करे तो श्रीभगवान तुरंत ही प्रकट होवे।