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चौसट घड़ी कृष्ण रूप काल ही दृष्टि आवे। तिसके भय से भावित हो रात दिन चिंता में गॅवावे।

इधर कंस की तो यह दसा थी उधर बसुदेव और देवकी पूरे दिनों महा कष्ट में श्रीकृष्ण ही को मनाते थे कि इस बीच भगवान ने आ विन्हें स्वप्न दिया और इतना कह बिनके मन का सोच दूर किया जो हम बेग ही जन्म ले तुम्हारी चिंता मेटते है, तुम-अब मत पछिताओ। यह सुन असुदेव देवकी जाग पड़े तो इतने में ब्रह्मा, रुद्र, इंद्रादिक देवता अपने बिमान अधर में छोड़, अलख रूप बन बसुदेव के गेह में आए, औ हाथ जोड़ जोड़ बेद गाय गाय गर्भ की स्तुति करने लगे। तिस समै विनको तो किसी ने न देखा पर वेद की धुनि सबने सुनी। यह अचरज देख सब रखवाले अचंभे रहे और बसुदेव देवकी को निहचै हुआ कि भगवान बेगही हमारी पीर हरैगे।