राय–अजी, तो उसमें करना ही क्या है? बजट को कौन पढ़ता है और कौन समझता है? आप केवल शिक्षा के लिए और धन की आवश्यकता दिखाइए और शिक्षा के महत्व को थोड़ा-सा उल्लेख कीजिए, स्वास्थ्य-रक्षा के लिए और धन मँगिए और उसके मोटे-मोटे नियमों पर दो-चार टिप्पणियाँ कर दीजिए। पुलिस के व्यय में वृद्धि अवश्य ही हुई होगी, मानी हुई बात है। आप उसमे कमी पर जोर दीजिए और नयी नहरे निकालने की आवश्यकता दिखा कर लेख समाप्त कर दीजिए। बस, अच्छी खासी बजट की समालोचना हो गयी। लेकिन यह बातें ऐसे विनम्र शब्दों में लिखिए। और अर्थसचिव की योग्यता की और कार्यपटुता की ऐसी प्रशंसा कीजिए की वह बुलबुल हो जायँ और समझे कि मैंने उसके मन्तव्य पर खूब विचार किया है। शैली तो आपकी सजीव हैं ही, इतना यत्न और कीजिएगा कि एक-एक शब्द से मेरी बहुज्ञता और पाडित्य टपके। इतना बहुत है। हमारा कोई प्रस्ताव माना तो जायेगा नहीं, फिर बजट के लेखों को पढ़ना और उस पर विचार करना व्यर्थ है।
ज्ञान---और गायत्री देवी के विषय में क्या लिखना होगा?
राय-बस, एक सक्षिप्त-सा जीवन वृत्तात हो। कुछ मेरे कुल का, कुछ उसके कुल का हाल लिखिए, उसकी शिक्षा का जिक्र कीजिए। फिर उसके पति की मृत्यु का वर्णन करने के बाद उसके सुप्रबन्ध और प्रजा-रजन का जरा बढ़ा कर विस्तार के साथ उल्लेख कीजिए। गत तीन वर्षों में विविध कामों में उसने जितने चन्दे दिए है और अपने असामियों की सुदशा के लिए जो व्यवस्थाएँ की है, उनके नोट मेरे पास मौजूद है। उससे आपको बहुत मदद मिलेगी। उस ढाँचे को सजीव और सुन्दर बनाना आपका काम है। अन्त में लिखिएगा कि ऐसी सुयोग्य और विदुषी महिला को अब तक किसी पद से सम्मानित न होना, शासन-कर्ताओं की गुणग्राहकता का परिचय नहीं देता है। सरकार का कर्तव्य है कि उन्हें किसी उचित उपाधि से विभूषित करके सत्कार्यों में प्रोत्साहित करें, लेकिन जो कुछ लिखिए जल्द लिखिए, विलम्ब से काम बिगड़ जायगा।
ज्ञान–बजट की समालोचना तो मैं कल तक लिख दूंगा लेकिन दूसरे लेख में अधिक समय लगेगा। मेरे बड़े भाई, जो बहुत दिनों से गायब थे, पहली तारीख को घर आ रहे हैं। उनके आने से पहले हमें वहाँ पहुँच जाना चाहिए।
राय—वह तो अमेरिका चले गये थे।
ज्ञान-जी हाँ, वही से पत्र लिखा है।
राय कैसे आदमी हैं?
ज्ञान--इस विषय में क्या कह सकता हूँ? आने पर मालूम होगा कि उनके स्वभाव में क्या परिवर्तन हुआ है। यों तो बहुत शान्त प्रकृति और विचारशील थे।
राय लेकिन आप जानते है कि अमेरिका की जलवायु बन्धु-प्रेम के भाव की पोषक नहीं है। व्यक्तिगत स्वार्थ वहाँ के जीवन का मूल तत्व हैं और आपके भाई साहब पर उसका असर जरूर ही पड़ा होगा।