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प्रेमाश्रम

कादिर-किसके बूते पर लाठी चलेगी? गाँव में रह कौन गया है? अल्लाह ने पट्ठों को चुन लिया।

सुक्खू---पट्ठे नहीं है न सही, बूढे तो है? हम लोग की जिन्दगानी किस रोज काम आयेगी?

गौस खाँ को जब मालूम हुआ कि गाँव के लोग तालाब के तट पर जमा हैं तो वह भी लपके हुए आ पहुँचे और गरज कर बोले, खबरदार! कोई तालाब की तरफ कदम न रखे। सुक्खू आगे बढ़ आये और कड़क कर बोले, किसकी मजाल है जो तालाब का पानी रोके। हम और हमारे पुरखा इसी से अपना निस्तार करते चले आ रहे है। जमींदार नहीं ब्रह्मा आ कर कहे तब भी इसे न छोड़ेंगे, चाहे इसके पीछे सरबस लुट जाये।

गौस खाँ ने सुक्खू चौधरी को विस्मित नेत्रों से देखा और कहा, चौधरी, क्या इस मौके पर तुम भी दगा दोगे? होश में आओ।

सुक्खू तो क्या आप चाहते कि जमींदार की खातिर अपने हाथ कटवा लें। पैरों मे कुल्हाड़ी मार लें। खैरख्वाही के पीछे अपना हक नहीं, छोड़ सकता।

करतार चपरासी ने हँसी करते हुए कहा, अरे तुमका का पड़ी है, है कोऊ आगे पीछे? चार दिन में हाथ पसारे चले जैहो। ई ताल तुमरे सँग न जाई।

वृद्धजन मृत्यु का व्यग नहीं सह सकते। सुक्खू ऐठ कर बोले—क्या ठीक हैं कि हम ही पहले चले जायेंगे? कौन जाने हमसे पहले तुम्हीं चले जाओ। जो हो, हम तो चले जायेंगे, पर गाँव तो हमारे साथ न चला जायगा?

गौस खाँ-हमारे सलूकों का यहीं बदला है?

सुक्खू-आपने हमारे साथ सलूक किये है तो हमने भी आपके साथ सलूक किये है और फिर कोई सलूक के पीछे अपने हक-पद को नहीं छोड़ सकता।

फैजू तो फौजदारी करने का अरमान है?

सुक्खू–फौजदारी क्यों करें, क्या हाकिम का राज नहीं है? हाँ, जब हाकिम न सुनेगा तो जो तुम्हारे मन में है वह भी हो जायेगा। यह कह कर सुक्खू ताल के किनारे से चले आये और उसी वक्त बैलगाड़ी पर बैठ कर अदालत चले। दूसरे दिन दावा दायर हो गया।

लाला मौजीलाल पटवारी की साक्षी पर हार-जीत निर्भर थी। उनकी गवाही गाँव वालों के अनुकूल हुई। गौस खाँ ने उन्हें फोड़ने में कोई कसर न उठा रखी, यहाँ तक कि मार-पीट की भी धमकी दी। पर मौजीलाल का इकलौता बेटा इसी ताऊन मे भर चुका था। इसे वह अपने पूर्व संचित पाप का फल समझते थे। सन्मार्ग से विचलित न हुए। बेलाग साक्षी दी। सुक्खू चौधरी की डिगरी हो गयी और यद्यपि उनके कई सौ रुपये खर्च हुए पर गाँव में उनकी खोयी प्रतिष्ठा फिर जम गयी। चीक बैठ गयी। सारा गाँव उनका भक्त हो गया। इस विजय का आनन्दोत्सव मनाया गया। सत्यनारायण की कथा हुई, ब्राह्मणों को भोज हुआ और तालाब के चारो ओर पक्के घाट