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प्रेमाश्रम

ने कठोर स्वर में पूछा, आप कौन हैं? आपको सरकारी काम में मुदाखिलत करने का क्या मजाल है?

प्रेमशंकर--मुझे नहीं मालूम था कि गरीबो को जूते लगवाना भी सरकारी काम है। इसने क्या खता की थी, जिसके लिए आप ने यह सजा तजवीज की ?

तहसीलदार--सरकारी हुक्म की तामील से इन्कार किया। इससे कहा गया था कि इस मैदान को गोबर से लीप है, पर इसने बदजवानी की।

प्रेम--आपको मालूम नही था कि यह ऊँची जाति की काश्तकार है? जमीन लीपना या कूड़ा फेंकना इनका काम नहीं हैं।

तहसीलदार--जूते को मार सब कुछ करा लेती है।

प्रेमशकर का रक्त खौल उठा, पर जब्त से काम ले कर बोले, आप जैसे जिम्मेदार ओहदेदार की जबान से यह बात सुन कर सख्त अफसोस होता हैं।

मनोहर आगे बढ़ कर बोला, सरकार, आज जैसी दुर्गति हुई है वह हम जानते हैं। एक चमार बोला, दिन भर घास छीला, अब कोई पैसे ही नहीं देता। घटो से चिल्ला रहे हैं।

तहसीलदार ने क्रोधोन्मत्त हो कर कहा, आप यहाँ से चले जायें, वरना आपके हक में अच्छा न होगा। नाजिर जी, आप मुँह क्या देख रहे है? चपरासियो से कहिए, इन चमारों की अच्छी तरह खबर लें। यही इनकी मजदूरी है।

चपरासियो ने वेगारी को घेरना शुरू किया। कान्स्टेबलों ने भी वन्दूको के कुन्दे, चलाने शुरू किये । कई आदमियों को चोट आ गयी। प्रेमशंकर ने ओर से कहा, तहसीलदार साहब, मैं आपसे मिन्नत करता हूँ कि चपरासियों को मार-पीट करने से मना कर दें, वरना इन गरीबो का खून हो जायेगा।

तहसीलदार--आपके ही इशारो से इन बदमाशों ने सरकशी अख्तियार की हैं। इसके जिम्मेदार आप है। मैं समझ गया, आप किसी किसान-सभा से ताल्लुक रखते है।

प्रेमशंकर ने देखा तो लखनपुरवालों के चेहरे रोप से विकृत हो रहे थे। प्रति क्षण शका होती थी कि इनमे से कोई प्रतिकार ने कर बैठे। प्रति क्षण समस्या जटिलतर होती जाती थी। तहसीलदार और अन्य कर्मचारियों से मनुष्यता और दयालुता की अब कोई आशा न रही। तुरन्त अपने कर्तव्य का निश्चय कर लिया। गाँववालो की ओर रुख करके बोले, तहसीलदार साहब का हुक्म मानो । एक आदमी भी यहाँ से न जाय। सब आदमियो को मुँह माँगी मजूरी दी जायगी। इसकी कुछ चिन्ता मत करो।

यह शब्द सुनते ही सारे आदमी ठिठक गये और विस्मित हो कर प्रेमशंकर की ओर ताकने लगे। सरकारी कर्मचारियों को भी आश्चर्य हुआ। मनोहर और कल्लू कुएँ की तरफ चले। चमारों ने गोबर वटोरना शुरू किया। डपटसिंह भी मैदान से ईंट-पत्थर उठा-उठा कर फेकने लगे। सारा काम ऐसी शान्ति से होने लगा, मानो कुछ