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प्रेमाश्रम


बिसेसर—धन्नू अहीर, चावल ऽ३, आटा ऽ२, धी ऽ1, खली ऽ४, दाना और धोकर ऽ८, तमाखू—कुल दो रुपये।

तहसीलदार—कहाँ है धन्नू अहीर निकाल रुपये।

एक अर्दली—वह तो पहर रात रहे साहब का बैरा लाद कर चला गया।

तहसीलदार—हिसाब नहीं चुकाया और चल दिया। अच्छा नाजिर जी उसका नाम लिख लीजिए। कहाँ जाते है बच्चू एक-एक पाई वसूल कर लूंगा।

प्रेमशंकर—यह लश्करवालों की बड़ी ज्यादती है।

तहसीलदार—कुछ न पूछिए, कमबख्त खा-खा कर चल देते हैं, बदनामी बेचारे तहसीलदार की होती हैं।

बिसेसर साह ने फिर ऐसा ही व्यौरा पढ़ सुनाया। यह जयराम चपरासी की पुर्जा था। जयराम उपस्थित थे। आगे बढ़ कर बोले, क्यो रे धी ऽ11। लिया था कि?

बिसेसर—कागद में तो लिखा हुआ है।

जयराम-झूठ लिखा है, सोलही आने झूठ।

तहसीलदार-अच्छा ऽ का दाम दो, या कुछ भी नहीं देना चाहते?

यह अमेला नौ-दस बजे तक रहा। एक तिहाई से अधिक आदमी बिना हिसाब चुकाये ही प्रस्थान कर चुके थे। एक चौथाई से अधिक आदमी लापता हो गये। आधे आदमी मौजूद थे, लेकिन उन्हें भी हिसाब के ठीक होने में सन्देह था। ऐसे दस ही पाँच सज्जन निकले जिन्होंने खरे दाम चुका दिये हों। जब सब चिटे समाप्त हो गयी तो बिसेसर साह ने उन्हें ला कर तहसीलदार के सामने पटक दिया और बोला, मैं और किसी को नहीं जानता, एक हुजूर को जानता हूँ और हुजूर के हुक्म से मैंने रसद दी है।

तहसीलदार-मैं क्या अपनी गिरह से दूँगा?

बिसेसर- हुजूर जैसे चाहें है या दिला है। २०० रु० में यह ७० रु० मिले है। मैं टके का आदमी इतना धक्का कैसे उठाऊँगा? महाजन मेरा घर बिकवा लेगा।

तहसीलदार—अच्छी बात है, तुम्हारे दाम मिलेंगे। नाजिर जी, आप चपरासियों को ले कर जाइए, इसके बही-खाते उठा लाइए और खुद इसकी सालाना आमदनी का हिसाब कीजिए। देखिए, अभी कलई खुली जाती है। मैं इसके सब रुपये दूंगा, पर इसी से ले कर। बच्चू, दो हजार रुपये साल नफा करते हो, उस पर एक बार १०० रू का घाटा हुआ तो दम निकल गया?

कहाँ तो बिसेसर साह इतने गर्म हो रहे थे, कहाँ यह धमकी सुनते ही भीगी बिल्ली बन गये। बोले, हाँ हुजूर; सब हिसाब-किताब जाँचे ले। इस गाँव में ऐसा कौन रोजगार है कि दो हजार का नफा हो जायगा? खाने भर को मिल जाय यही बहुत है।

तहसीलदार---और यह आस पास के देहात की अनाज किसके घर में भरा जाता है? तुम समझते हो कि हाकिमों को खबर ही नहीं होती। यहाँ इतना बता सकते हैं कि आज तुम्हारे घर में क्या पक रहा है। यह रिआयत इसी दिन के लिए करते है, कुछ तुम्हारी सुरत देखने के लिए नहीं।