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प्रेमाश्रम

न समझ सका ! माना, प्रायश्चित पर मेरा विश्वास नही है, पर उससे दो प्राणियो का जीवन सुखमय हो सकता था । इस सिद्धान्त-प्रेम ने दोनों का ही सर्वनाश कर दिया। क्यो न चलकर श्रद्धा से कह दूँ कि मुझे प्रायश्चित करना अगीकार हैं। अभी बहुत दूर नहीं गई होगी। उसका विश्वास मिथ्या ही सही, पर कितना दृढ़ है। कितनी नि स्वार्थ पति-भक्ति है, कितनी अविचल घर्मनिष्ठा । प्रेमशकर इन्ही विचारों में डूबे हुए थे कि यकायक उन्होंने दो आदमियो को ऊपर से उतरते देखा । गहरे विचार के बाद मस्तिष्क को विश्राम की इच्छा होती हैं । वह उन दोनो मनुष्यों की ओर ध्यान से देखने लगें । यह कौन हैं ? इस समय यहाँ क्या करने आये हैं ? शनै शनै वह दोनो नीचे आये और प्रेमशकर से कुछ दूर खड़े हो गये । प्रेमशंकर ने उन दोनो की बाते सुनी, आवाज पहचान गये। यह दोनों पद्मशकर और तेजशकर थे !

तेजशकर ने कहा, तुम्हारी बुरी आदत है कि जिससे होता है उसी से इन बातो की चर्चा करने लगते हो। यह सब बाते गुप्त रखने की हैं । खोल देने से उसका असर जाता रहता है।

पद्म--मैंने तो किसी से नहीं कहा।

तेज--क्यो ? आज ही बाबू ज्वाला सिंह से कहने लगे कि हम लोग साधु हो जायेंगे। कई दिन हुए अम्माँ से यही बात कही थी। इस तरह वकते फिरने से क्या फायदा ? हम लोग साधु होगे अवश्य, पर अभी नही। अभी इस 'बीसा' को सिद्ध कर लो, घर में लाख-दो-लाख रुपये रख दो, बस निश्चिन्त होकर निकल खडे हो । भैया घर की कुछ खोज-खबर लेते ही नहीं । हम लोग भी निकल जाये तो लालाजी इतने प्राणियों का पालन-पोषण कैसे करेंगे । इम्तहान तो मेरा न दिया जायगा । कौन भूगोल-इतिहास रटता फिरे और मैट्रिक हो ही गये तो कौन राजा हो जायेंगे । बहुत होगा कही १५), २०) के नौकर हो जायेगे। तीन साल से फेल हो रहे है, अब की तो यो ही कही पढने को जगह न मिलेगी।

पद्म--अच्छा, अब किसी से कुछ न कहूँगा । यह मन्त्र सिद्ध हो जाये तो चचा साहब मुकदमा जीत जायेगे न ?

तेज--अभी देखा नही क्या ? लालाजी बीस हजार जमानत देते थे, पर मैजिस्ट्रेट न लेता था। तीन दिन यहाँ आसन जमाया और आज वह बिलकुल बरी हो गये । एक कौडी भी जमानत न देनी पड़ी।

पद्म--चचा साहब बड़े अच्छे आदमी हैं। मुझे उनकी बहुत मुहब्बत लगती है। छोटे चाचा की ओर ताकते हुए डर मालूम होता है ।

तेज--उन्होंने बडे चाचा को फँसाया है। डरता हूँ, नहीं तो एक सप्ताह-भर भी आसन लगाऊँ तो उनकी जान ही लेकर छोडूँ ।

पद्म--मुझसे तो कभी बोलते ही नही । छोटी चाची का अदब करता हूँ, नहीं तो एक दिन माया को खूब पीटता ।

तेज--अब की तो भायाभी गोरखपुर जा रहा है। वही पढेगा ।