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प्रेमाश्रम

इर्फान अली--कोई तातील आये तो इतमीनान से आपका काम करूँ।

प्रेमशकर ने श्रद्धाभाव मे कहा, सैयद साहब की जात कौम के लिए वर्कत है। अजुमन के लिए १०० रु० की हकीर रकम नजर करता हूँ और यतीमखाने के लिए ५० मन गेहूँ, ५ मन शक्कर और २० रू माहवार ।

ईजाद हुसेन--खुदा आपको सवाव अता करे। अगर इजाजत हो तो जनाब का नाम भी ट्रस्टियों में दाखिल कर लिया जाय ।

प्रेमशकर--मैं इस इज्जत के लायक नहीं हूँ।

ईजाद--नही जनाब, मेरी यह इल्तजा आपको कबूल करनी होगी। खुदा ने आपको एक दर्दमन्द दिल अता किया है। क्यों नहीं, आप लाला जटायफर मरहूम के ललक हैं जिनकी गरीबपरवरी से सारा शहर मालामाल होता था। यतीम आपको दुआएँ देंगे और अजुमन हमेशा आपकी ममनून रहेगी।

इर्फान अली ने ज्वालासिंह से पूछा, आपका कयाम यहाँ कब तक रहेगा ?

ज्वाला--कुछ अर्ज नहीं कर सकता। आया तो इस इरादे में हैं कि बाबू प्रेमशकर की गुलामी मे जिन्दगी गुजार दूँ। मुलाजमत से इस्तीफा देना तै कर चुका हूँ ।

इर्फान अली-वल्लाह । आप दोनो साहब बड़े जिन्दादिल है । दुआ कीजिए कि खुदा मुझे भी कनाअत (सन्तोष) की दौलत अता करे और मैं भी आप लोगों की सोहवत से फैज उठाऊँ ।

ज्वालासिंह ने मुस्करा कर कहा, हमारे मुलाजिमो को बरी करा दीजिए, तब हम शवोरोज आपके लिए दुआएँ करेंगे ।

इर्फान अली हँस कर बोले, शर्त तो टेढ़ी हैं, मगर मजूर है। डाक्टर चौपडा का बयान अपने मुआफिक हो जाय तो बाजी अपनी है ।

ईजाद--अब जरा इस गरीब की भी खबर लीजिए । मेरे मुहल्ले में रहते है । कपडे की बड़ी दूकान है। इनके बड़े भाई इनमे बेरुग्बी से पेश आते है। इन्हें जेब खर्च के लिए कुछ नहीं देने । हिसाब भी नहीं दिखाते, मारा नफा खुद हजम कर जाते है। कल इन्हें बहुत सस्त सुस्त कहा। जब इनका आधा हिस्सा है, तो क्यों न अपने हिस्से का दावा करें। यह बालिग है, अपना फायदा नुकसान समझते है, भाई की रोटियो पर नहीं रहना चाहते । बोलो, भाई मथुरादाम, बारिस्टर साहब से कहो क्या कहते हो ।

मथुरादास में जमीन की तरफ देखा और ईजाद हुसेन की ओर कनखियो में ताफते हुए बोले--मैं यहीं चाहता हूँ कि भैया से आप मेरी राजी-खुशी कर दे। कल मैंने उन्हें गाली दे दी थी। अब वह कहते हैं, तु ही घर सँभाल, मुझमे कोई वास्ता नहीं । कुजिया सब फेक दी है और दूकान पर नहीं जाते ।

ईजादहुसेन ने मथुरादास की ओर बक्दृन्टि में देख कर कहा, साफ-साफ अपना मतलब क्यों नहीं कहते ? आप इनकी मन्शा समझ गये होगे। अभी नानजुर्बेकार

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