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प्रेमाश्रम

वास्तव में यह हत्या कई आदमियो की साजिशो से हुई है। लखनपुर मेरा ही गाँव है।

प्रियनाथ--अच्छा, लखनपुर आपका ही गाँव है। तो यह कारिन्दा आपका नौकर था ?

ज्ञान--जी हाँ, और बड़ा स्वामिभक्त, अपने काम मे कुशल । गाँववालो को उससे केवल यही चिढ थी कि वह उनसे मिलता न था। प्रत्येक विषय में मेरे ही हानि-लाभ का विचार करता था। यह उसकी स्वामिभक्ति का दड है। लेकिन मैं इस घटना को पुलिस की दृष्टि से नही देखता। हत्या हो गयी, एक ने की या कई आदमियो ने मिल कर की। मेरे लिए यह समस्या इससे कही जटिल हैं। प्रश्न जमीदार और किसानो का है। अगर हत्याकारियों को उचित दड न दिया गया तो इस तरह की दुर्घटनाएँ आये दिन होने लगेगी और जमीदारों को अपनी जान बचाना कठिन हो जायगा ।

प्रस्तुत प्रश्न को यह नया स्वरूप दे कर ज्ञानशकर विदा हुए । यद्यपि हत्या के सबध मे डाक्टर साहब की अब भी वही राय थी, लेकिन अब यह गुनाह बेलज्जत न था। ५०० रू का पारितोषिक १०० रू फीस, साल मे हजार दस हजार मिलते रहने की आशा, उसपर पुलिस की खुशनूदी अलग। अब आगे-पीछे की जरूरत न थी। हाँ, अब अगर भय था तो डाक्टर इर्फान अली की जिरहो का । डाक्टर साहब की जिरह प्रसिद्ध थी। अतएव प्रिंयनाथ ने इस विषय के कई ग्रन्थो का अवलोकन किया और अपने पक्षसमर्थन के तत्त्व खोज निकाले। कितने ही बेगुनाहो की गर्दन पर छुरी फिर जायेगी इसकी उन्हें एक क्षण के लिए भी चिन्ता न हुई। इस ओर उनका ध्यान ही न गया। ऐसे अवसरों पर हमारी दृष्टि कितनी सकीर्ण हो जाती है ?

दिन के दस बजे थे। डाक्टर महोदय ग्रन्थों की एक पोटली ले कर फिटन पर सवार हो कचहरी चले। उनका दिल धड़क रहा था। जिरह में उखड जाने की शका लगी हुई थी। वहाँ पहुँचते ही मैजिस्ट्रेट ने उन्हें तलब किया। जब वह कटघरे के सामने आ कर खड़े हुए और अभियुक्तों को अपनी ओर दीन नेत्रो से ताकते देखा तो एक क्षण के लिए उनका चित्त अस्थिर हो गया। लेकिन यह एक क्षणिक आवेग था, आया और चला गया। उन्होने बड़ी तात्त्विक गभीरता और मर्मज्ञतापूर्ण भाव से इस हत्या- काड़ का विवेचन किया। चिह्नों से यह केवल एक आदमी का काम मालूम होता है। लेकिन हत्याकारियो ने बड़ी चालाकी से काम लिया है। इस विषय में वे बड़े सिद्धहस्त है। मृत्यु का कारण कुल्हाडी या गँडासे का आघात नहीं है, बल्कि गले का घोटना है और कई आदमियों की सहायता के बिना गौस खाँ जैसे बलिष्ठ मनुष्य का गला घोटना असम्भव है। प्राणान्त हो जाने पर एक वार से उसकी गर्दन काट ली गयी है जिसमें यह एक ही व्यक्ति का कृत्य समझा जाय।

इर्फान अली की जिरह शुरू हुई ।

'आपने कौन सा इम्तहान पास किया है ?'

“मैं लाहौर का एल० एम० एस० और कलकत्ते का एम० वी० हूँ ?"

‘आपकी उम्र वया है ?'