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प्रेमाश्रम‌

डाक्टर--आप मुतलक अन्देशी न करे, मैंने मुकदमे को हाथ में ले लिया। अपने दीवान साहब को भेज दीजिएगी, वकालतनामा तैयार हो जायगा। मैं कागजात देखकर फौरन दावा दायर कर देंगी। गोरखपुर गया भी तो आपके कागजात लेता जाऊँगा।

घड़ी मे दस बजे। खानसामा ने दस्तरखान बिछाया। भोजनालय इस दफ्तर के बगल ही में था। मसाले की सुगन्ध कमरे में फैल गयी, लेकिन डाक्टर साहब अपना शिकार फँसाने में तल्लीन थे। भय होता था मैं भोजन करने चला जाऊँ और शिकार हाथ से निकल जाय। लगभग आध घटे तक वह राजा साहब से मुकदमे के सम्बन्ध में बातें करते रहे। राजा साहब के जाने के बाद वह दस्तरखान पर बैठे। खाना ठढा हो गया था। दो-चार ही कौर खाने पाये थे कि ११ बज गये। दस्तरखान से उठ बैठे। जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और कचहरी चले। रास्ते में पछताते जाते थे कि भरपेट खाने भी न पाया। आज पुलाव कैसा लजीज बना था। इस पैशे का बुरा हो, खाने की फुर्सत नहीं। हां, रानी को क्या जवाब दें? नीति तो यही है कि जब तक। किसानो का मामला तय न हो जाय, कहीं न जाऊँ। लेकिन यह ५०० ९० रोज का नुकसान कैसे बर्दाश्त करू? फिर एक बड़ी रियासत से ताल्लुक हो रहा है, साल मे सैकड़ों मुकदमे होते होगें, सैकड़ों अपीले होती होगी। वहाँ अपना रंग जरूर जमाना चाहिए। मुहरिर साहब सामने ही बैठे थे, पूछा- क्यो मुन्शी जी, रानी साहेब को क्या जवाब दें? आप के ख्याल में इस वक्त वहाँ मैरा जाना मुनासिब हैं?

मुहरिर--हजूर किसी के ताबेदार नहीं है। शौक से जायें। सभी वकील यही करते हैं। ऐसे भौके को न छोड़े।

डाक्टरबदनामी होती है।

मुहरर-जरा भी नहीं। जब यही आम रिवाज है तो कौन किसे बदनाम कर सकता है।

इन शब्दो ने इफन अली की दुविधाओं को दूर कर दिया। औघते को लेटने का बहाना मिल गया। ज्यो ही मोटर कचहरी मे पहुँची, प्रेमशंकर दौडे हुए आए और बोले, मैं तो बड़ी चिन्ता में था। पेशी हो गयी।

डाक्टर--अमौली के राजा साहब आ गये, इससे जरा देर हो गयी, खाना भी नहीं नसीव हुआ। इस पेशे की न जाने क्यो लोग इतनी तारीफ करते है। असल में इससे यइतर कोई पेशा नहीं। थोडे दिनों में आदमी कोल्हू का बैल बन जाता है।

प्रेमशंकर–आप उघर कहाँ तशरीफ लिए जाते हैं?

डाक्टर-जरा सब-जज के इजलास में एक बात पूछने। आप चले, मैं अभी आता हैं।

प्रेम---सरकारी वकील ने बहस शुरू कर दी है।

डाक्टर---कोई मुजायको नही, करने दीजिए। मैं उसका जवाब पहले ही तैयार कर चुका हूँ।

प्रेमशंकर उनके साथ सब-जज के इजलास तक गये। डाक्टर साह्न लगभग एक